नाइटिंगेल का जन्म इंग्लैंड के एक धनी परिवार में हुआ था , उनका ध्यान आरंभिक अवस्था से ही दीन-दुःखियों की सहायतार्थ रहता था | उन्होंने ' नर्स ' के पेशे में पदार्पण करने का निश्चय किया । उस समय में वह समस्त इंग्लैंड में इस पेशे की सबसे बड़ी जानकार और सब प्रकार से सुयोग्य और चरित्रवान महिला थी ।
नाइटिंगेल ने अपने उदाहरण द्वारा यह दिखला दिया कि मनुष्य चाहे छोटे से छोटे काम में हाथ डाले , पर यदि वह उसे सच्चाई , ईमानदारी और नि:स्वार्थ भाव से पूरा कर दिखाता है , तो वह अवश्य ही लोगों की प्रशंसा और सम्मान का अधिकारी बन सकेगा ।
केवल ' सेवा धर्म ' का पालन करके उन्होंने इतनी उच्च पदवी प्राप्त कर ली थी कि महारानी विक्टोरिया तथा उनकी पुत्री ---- जो जर्मनी के कैसर की पुत्र वधु थीं ---- उनसे मित्रवत व्यवहार करती थीं और अनेक सम्राट तथा सेनाध्यक्ष भी उन्हें बड़ी शिष्टता और विनयपूर्वक पत्र लिखते थे ।
उन्होंने भारतवर्ष में स्वास्थ्य , शिक्षा तथा कृषि सम्बन्धी सुधारों के लिए बहुत अधिक प्रचार व कार्य किया ।
नाइटिंगेल ने अपने उदाहरण द्वारा यह दिखला दिया कि मनुष्य चाहे छोटे से छोटे काम में हाथ डाले , पर यदि वह उसे सच्चाई , ईमानदारी और नि:स्वार्थ भाव से पूरा कर दिखाता है , तो वह अवश्य ही लोगों की प्रशंसा और सम्मान का अधिकारी बन सकेगा ।
केवल ' सेवा धर्म ' का पालन करके उन्होंने इतनी उच्च पदवी प्राप्त कर ली थी कि महारानी विक्टोरिया तथा उनकी पुत्री ---- जो जर्मनी के कैसर की पुत्र वधु थीं ---- उनसे मित्रवत व्यवहार करती थीं और अनेक सम्राट तथा सेनाध्यक्ष भी उन्हें बड़ी शिष्टता और विनयपूर्वक पत्र लिखते थे ।
उन्होंने भारतवर्ष में स्वास्थ्य , शिक्षा तथा कृषि सम्बन्धी सुधारों के लिए बहुत अधिक प्रचार व कार्य किया ।
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