नेहरु जी और सरदार पटेल के मतभेद की कहानी बड़ी दिलचस्प और शिक्षाप्रद है । वे विभिन्नता में एकता के अदभुत उदाहरण थे । सरदार पटेल नेहरु जी से चौदह वर्ष बड़े थे और राष्ट्रीय संग्राम में उनकी सेवाएं भी कम न थीं , पर गांधीजी के भाव को समझकर उन्होंने नेहरूजी को प्रधानमंत्री और स्वयं को उप प्रधानमन्त्री रहना स्वीकार किया ।
इन दोनों महान नेताओं का सहयोग व्यवहारिक रूप में किस प्रकार प्रकट हुआ यह श्री हरिभाऊ उपाध्याय के इस लेखांश से विदित हो सकता है ------ " दोनों के मिजाज और कार्यप्रणाली में बहुत अन्तर था , किन्तु भारत के स्वतंत्र होने के बाद सरदार , नेहरूजी को अपना नेता मानने लगे थे । और इसके बदले नेहरु जी सरदार को परिवार का सबसे वृद्ध पुरुष मानते थे । यदि कोई उन दोनों में से किसी की भी नीति पर आक्रमण करता तो उक्त आलोचक को दोनों ही फटकार देते । वे दोनों एक दूसरे के कवच थे । एक कांग्रेसी कार्यकर्ता जो सरदार का विश्वासपात्र था , बताया था कि---" सरदार ने अपनी मृत्यु शय्या पर उनसे कहा था कि हमें नेहरूजी की अच्छी तरह देखभाल करनी चाहिए , क्योंकि मेरी मृत्यु से उन्हें बहुत दुःख होगा । "
इसी प्रकार की घटना नेहरु जी की भी है --- सरदार पटेल अपने व्यंग के लिए प्रसिद्ध थे और एक दिन नेहरु जी भी उनके व्यंग के शिकार हो गये । उस समय उपस्थित एक मित्र ने इसका जिक्र नेहरु जी से कर दिया , तो नेहरु जी ने उत्तर दिया ---- " इसमें क्या बात है ? आखिर एक बुजुर्ग के रूप में उनको हमारी हंसी उड़ाने का पूर्ण अधिकार है । वे हमारी चौकसी करने वाले हैं । नेहरु जी के उत्तर से लाजवाब होकर वे सज्जन शीघ्र ही वहां से चले गये । "
भारतीय राष्ट्र का निर्माण करने वाले इन दोनों महापुरुषों की इतनी अधिक है कि बहुत वर्ष बीत जाने पर भी लीग उनका स्मरण करते रहेंगे ।
इन दोनों महान नेताओं का सहयोग व्यवहारिक रूप में किस प्रकार प्रकट हुआ यह श्री हरिभाऊ उपाध्याय के इस लेखांश से विदित हो सकता है ------ " दोनों के मिजाज और कार्यप्रणाली में बहुत अन्तर था , किन्तु भारत के स्वतंत्र होने के बाद सरदार , नेहरूजी को अपना नेता मानने लगे थे । और इसके बदले नेहरु जी सरदार को परिवार का सबसे वृद्ध पुरुष मानते थे । यदि कोई उन दोनों में से किसी की भी नीति पर आक्रमण करता तो उक्त आलोचक को दोनों ही फटकार देते । वे दोनों एक दूसरे के कवच थे । एक कांग्रेसी कार्यकर्ता जो सरदार का विश्वासपात्र था , बताया था कि---" सरदार ने अपनी मृत्यु शय्या पर उनसे कहा था कि हमें नेहरूजी की अच्छी तरह देखभाल करनी चाहिए , क्योंकि मेरी मृत्यु से उन्हें बहुत दुःख होगा । "
इसी प्रकार की घटना नेहरु जी की भी है --- सरदार पटेल अपने व्यंग के लिए प्रसिद्ध थे और एक दिन नेहरु जी भी उनके व्यंग के शिकार हो गये । उस समय उपस्थित एक मित्र ने इसका जिक्र नेहरु जी से कर दिया , तो नेहरु जी ने उत्तर दिया ---- " इसमें क्या बात है ? आखिर एक बुजुर्ग के रूप में उनको हमारी हंसी उड़ाने का पूर्ण अधिकार है । वे हमारी चौकसी करने वाले हैं । नेहरु जी के उत्तर से लाजवाब होकर वे सज्जन शीघ्र ही वहां से चले गये । "
भारतीय राष्ट्र का निर्माण करने वाले इन दोनों महापुरुषों की इतनी अधिक है कि बहुत वर्ष बीत जाने पर भी लीग उनका स्मरण करते रहेंगे ।
No comments:
Post a Comment