शिवाजी ने कल्याण के किले पर अधिकार कर लिया । शिवाजी के सम्मुख कल्याण के किलेदार मौलाना अहमद और उसकी पुत्रवधू को बंदी के रूप में उपस्थित किया गया , अहमद की पुत्रवधू एक अपूर्व सुन्दरी थी । । उसका रूप देखकर सारा दरबार चकित रह गया । शिवाजी भी उसे एकटक होकर देखने लगे । लोग समझ रहे थे कि शायद शिवाजी नारी रूप पर आसक्त हो गये ।
लेकिन शिवाजी के ह्रदय के भाव पवित्र थे । बड़ी देर तक देखते रहने के बाद वे बोले ----- " कैसा अनुपम और प्रशंसनीय रूप है । यदि मेरी माता भी इसी की तरह सुन्दर होती तो मैं भी आज कितना सुन्दर होता । "
शिवाजी की बात सुनकर सारी सभा के मुंह से सहसा ही ' धन्य - धन्य ' के शब्द निकल पड़े । मौलाना अहमद तो श्रद्धा - विभोर होकर रो पड़ा । और उसकी पुत्रवधू कह उठी ------ " जो आदमी इतना नेक , ईमानदार और पाक चलन है , जो दुश्मन की औरत के साथ इतना इज्जत भरा सुलूक कर सकता है ---- वह एक दिन जरुर बड़ा आदमी होगा और दुनिया उसके नाम को सिजदा किया करेगी । "
लेकिन शिवाजी के ह्रदय के भाव पवित्र थे । बड़ी देर तक देखते रहने के बाद वे बोले ----- " कैसा अनुपम और प्रशंसनीय रूप है । यदि मेरी माता भी इसी की तरह सुन्दर होती तो मैं भी आज कितना सुन्दर होता । "
शिवाजी की बात सुनकर सारी सभा के मुंह से सहसा ही ' धन्य - धन्य ' के शब्द निकल पड़े । मौलाना अहमद तो श्रद्धा - विभोर होकर रो पड़ा । और उसकी पुत्रवधू कह उठी ------ " जो आदमी इतना नेक , ईमानदार और पाक चलन है , जो दुश्मन की औरत के साथ इतना इज्जत भरा सुलूक कर सकता है ---- वह एक दिन जरुर बड़ा आदमी होगा और दुनिया उसके नाम को सिजदा किया करेगी । "
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