' स्वामी कुवलयानन्द जी ऐसे असामान्य योगी थे जिन्होंने योग शिक्षा द्वारा समाज का आध्यात्मिक पुनर्निर्माण करने के लिए सारा जीवन अर्पित कर दिया । उन्होंने योग द्वारा अनेक असाध्य रोगों की चिकित्सा का अन्वेषण कर उसे जन - साधारण तक पहुँचाने का सतत प्रयास किया ।
योग - विद्दा जो अब तक विशिष्ट योगियों तक सीमित माना जाता था , उसे सामान्य साधक की पहुँच तक लाने का अधिकांश श्रेय ' कैवल्यधाम ' के संस्थापक स्वामी कुवलया नन्द को जाता है ।
स्वामीजी का यह विश्वास था कि जब तक मनुष्य स्वार्थ , ईर्ष्या , क्रोध , लोभ , भय आदि विषयों से अलिप्त नहीं हो पाता, तब तक स्थायी विश्व शान्ति की आशा नहीं है । उनकी मान्यता के अनुसार योग इस ध्येय प्राप्ति के लिए एक महत्वपूर्णसाधन हो सकता है ।
स्वामी जी का स्वप्न एक ऐसे योग निष्ठ समाज के पुन: निर्माण का था जिसके द्वारा राजकीय , आर्थिक , सामाजिक एवं नैतिक मूल्य --- आध्यात्मिक मूल्यों पर अधिष्ठित हों ।
योग - विद्दा जो अब तक विशिष्ट योगियों तक सीमित माना जाता था , उसे सामान्य साधक की पहुँच तक लाने का अधिकांश श्रेय ' कैवल्यधाम ' के संस्थापक स्वामी कुवलया नन्द को जाता है ।
स्वामीजी का यह विश्वास था कि जब तक मनुष्य स्वार्थ , ईर्ष्या , क्रोध , लोभ , भय आदि विषयों से अलिप्त नहीं हो पाता, तब तक स्थायी विश्व शान्ति की आशा नहीं है । उनकी मान्यता के अनुसार योग इस ध्येय प्राप्ति के लिए एक महत्वपूर्णसाधन हो सकता है ।
स्वामी जी का स्वप्न एक ऐसे योग निष्ठ समाज के पुन: निर्माण का था जिसके द्वारा राजकीय , आर्थिक , सामाजिक एवं नैतिक मूल्य --- आध्यात्मिक मूल्यों पर अधिष्ठित हों ।
महत्वपूर्ण माहिती
ReplyDeleteअजून अधिक माहिती हवी