' इटली का जोजेफ मेजिनी ' राष्ट्र - धर्म ' का दृढ़ अनुयायी था ---- जब किसी देश पर शत्रु का आक्रमण हो तो , वहां के प्रत्येक निवासी का यह धर्म हो जाता है कि वह मातृभूमि को अत्याचारियों के पंजे से छुड़ाने का प्रयत्न करे । यदि वह अपने निर्दोष देशभाइयों पर अत्याचार होते देखता रहता है और केवल एकान्त में बैठकर पूजा - पाठ करके ही अपने धार्मिक कर्तव्य की पूर्ति समझ लेता है तो वह वास्तव में भ्रम में है । '
देश को पराधीनता के अभिशाप से मुक्त करने के लिए मेजिनी ने ' युवा इटली ' नाम की एक संस्था की स्थापना की । ' युवा इटली ' के उद्देश्यों में एक महत्वपूर्ण बात यह रखी कि ---- ऊँचे आदर्शों और कर्तव्य का प्रभाव तो शिक्षित और मध्यम श्रेणी के व्यक्तियों पर पढ़ सकता है |
परन्तु देश के अशिक्षित और साधारण श्रेणी के व्यक्तियों की समझ में ये बातें नहीं आ सकतीं ।
यह तो स्पष्ट है कि जब तक साधारण जनता में जाग्रति न हो जाये और वह स्वतंत्रता आन्दोलन में भाग न लेने लगे तब तक सफलता की आशा नहीं करनी चाहिए । इसलिए हमको अपने प्रचार में विशेष ध्यान गरीबों , दुःखियों और समाज के पैरों तले रौंदे जाने वाले लोगों की तरफ देना चाहिए । हम जिस प्रजातंत्र शासन का स्वप्न देख रहे हैं उसमे सब व्यक्ति समान भाव से एक दूसरे के हित का ध्यान रखकर ही व्यवहार करेंगे और न दूसरों के कल्याण के लिए अपने सुख और विलास को त्याग करने की भावना रखेंगे । समाज के सब अंगों के सुखी होने पर ही सम्पूर्ण मानव - समाज यथार्थ सुख भोग सकता है । "
मेजिनी के उपदेशों से इटली ही नहीं समस्त पराधीन देशों के जन - सेवकों को बड़ी प्रेरणा मिली ।
देश को पराधीनता के अभिशाप से मुक्त करने के लिए मेजिनी ने ' युवा इटली ' नाम की एक संस्था की स्थापना की । ' युवा इटली ' के उद्देश्यों में एक महत्वपूर्ण बात यह रखी कि ---- ऊँचे आदर्शों और कर्तव्य का प्रभाव तो शिक्षित और मध्यम श्रेणी के व्यक्तियों पर पढ़ सकता है |
परन्तु देश के अशिक्षित और साधारण श्रेणी के व्यक्तियों की समझ में ये बातें नहीं आ सकतीं ।
यह तो स्पष्ट है कि जब तक साधारण जनता में जाग्रति न हो जाये और वह स्वतंत्रता आन्दोलन में भाग न लेने लगे तब तक सफलता की आशा नहीं करनी चाहिए । इसलिए हमको अपने प्रचार में विशेष ध्यान गरीबों , दुःखियों और समाज के पैरों तले रौंदे जाने वाले लोगों की तरफ देना चाहिए । हम जिस प्रजातंत्र शासन का स्वप्न देख रहे हैं उसमे सब व्यक्ति समान भाव से एक दूसरे के हित का ध्यान रखकर ही व्यवहार करेंगे और न दूसरों के कल्याण के लिए अपने सुख और विलास को त्याग करने की भावना रखेंगे । समाज के सब अंगों के सुखी होने पर ही सम्पूर्ण मानव - समाज यथार्थ सुख भोग सकता है । "
मेजिनी के उपदेशों से इटली ही नहीं समस्त पराधीन देशों के जन - सेवकों को बड़ी प्रेरणा मिली ।
No comments:
Post a Comment