फ्लोरेंस नाइटिंगेल ( 1820 - 1910 ) का जन्म इंग्लैंड के एक धनी परिवार में हुआ था । वह सदैव यही सोचती थीं कि इस प्रकार खाने - पीने और सुख पूर्वक समय व्यतीत कर देने में जीवन की सार्थकता नहीं है । अच्छा भोजन , वस्त्र - मकान आदि तो भले - बुरे , सज्जन - दुष्ट , परिश्रमी , आलसी सभी को मिल सकता है पर यदि हमारा जीवन उपयोगी सिद्ध नहीं होता , हम भगवान की स्रष्टि को अधिक उत्तम , रहने योग्य बनाने में कुछ योगदान नहीं करते तो वह जीवन ' सार्थक ' नहीं कहा जा सकता ।
नाइटिंगेल ने नर्स के पेशे में पदार्पण करने का निश्चय किया । सामान्य विद्दा - बुद्धि की और अनेक बंधनों में जकड़ी हुई स्त्री होने पर भी केवल सेवा - धर्म का पालन करके इतनी उच्च पदवी प्राप्त कर ली थी कि संसार के सबसे बड़े साम्राज्य की आदर्श माने जाने वाली अधीश्वरी विक्टोरिया तथा उनकी पुत्री --- जो जर्मनी के कैसर की पुत्रवधू थीं ----- उनसे मित्रवत व्यवहार करती थीं और अनेक सम्राट तथा सेनाध्यक्ष भी उन्हें बड़ी शिष्टता और विनय पूर्वक पत्र लिखते थे ।
यह एक महत्वपूर्ण तथ्य है और जो लोग समझते हैं कि संसार में किसी बड़ी सत्ता या बड़ी धनराशि का स्वामी होने पर ही मनुष्य उल्लेखनीय सफलता प्राप्त कर सकता है , उनकी आँख खोलने वाला है ।
धन और सत्ता का महत्व अवश्य है पर तभी जब उसे सच्चाई और सदाचार के साथ प्राप्त किया जाये , अन्यथा एक डाकू के पास और गलत रास्ते से कमाने वालों के पास असीमित धन होता है , पर किसी की प्रशंसा सभ्य समाज में नहीं सुनी गई ।
नाइटिंगेल ने नर्स के पेशे में पदार्पण करने का निश्चय किया । सामान्य विद्दा - बुद्धि की और अनेक बंधनों में जकड़ी हुई स्त्री होने पर भी केवल सेवा - धर्म का पालन करके इतनी उच्च पदवी प्राप्त कर ली थी कि संसार के सबसे बड़े साम्राज्य की आदर्श माने जाने वाली अधीश्वरी विक्टोरिया तथा उनकी पुत्री --- जो जर्मनी के कैसर की पुत्रवधू थीं ----- उनसे मित्रवत व्यवहार करती थीं और अनेक सम्राट तथा सेनाध्यक्ष भी उन्हें बड़ी शिष्टता और विनय पूर्वक पत्र लिखते थे ।
यह एक महत्वपूर्ण तथ्य है और जो लोग समझते हैं कि संसार में किसी बड़ी सत्ता या बड़ी धनराशि का स्वामी होने पर ही मनुष्य उल्लेखनीय सफलता प्राप्त कर सकता है , उनकी आँख खोलने वाला है ।
धन और सत्ता का महत्व अवश्य है पर तभी जब उसे सच्चाई और सदाचार के साथ प्राप्त किया जाये , अन्यथा एक डाकू के पास और गलत रास्ते से कमाने वालों के पास असीमित धन होता है , पर किसी की प्रशंसा सभ्य समाज में नहीं सुनी गई ।
No comments:
Post a Comment