साम्राज्य विस्तार के लिए किये गये कलिंग आक्रमण में सम्राट अशोक की सेनाओं ने एक लाख लोगों का वध कर दिया l रणक्षेत्र लाशों से पट गया , घायलों की चीत्कार सुनकर अशोक बाहर आया और देखि अपनी छोटी सी इच्छा पूर्ति के लिए यह विनाश लीला । ।
वह पश्चाताप की अग्नि में झुलसने लगा । अंत में उसने यह निश्चय किया कि उन्हें जो शक्ति और स्थिति मिली है , उसे व्यर्थ के कामों में नहीं , स्वार्थपूर्ण कार्यों में भी नहीं , केवल विश्व - मानव की सेवा में प्रयुक्त करेंगे । विजय तो आत्मा की वस्तु है और वह आत्मा के माध्यम से ही प्राप्त की जा सकती है ।
सम्राट अशोक ने अनेकों जन - कल्याणकारी कार्य किये ।
' सिकन्दर सरीखे अनेकों राजा और कारुं जैसे धन - कुबेर अनेकों इस पृथ्वी पर हो चुके हैं पर लोभ वश वे अपने प्राप्त साधनों को स्वार्थ की संकीर्ण परिधि में ही बाँधे रहे । फलस्वरूप न अपना हित कर सके न दूसरों का । अशोक ने परमार्थ बुद्धि का आश्रय लेकर अपने शासन काल के केवल 28 वर्षो में वह कार्य कर दिखाया जिससे अनन्त काल तक उसकी धर्म बुद्धि को सराहा जाता रहेगा ।
सम्राट अशोक सच्चे अर्थों में प्रजापालक था इसी लिए उसे ' अशोक महान ' कहा जाता है ।
वह पश्चाताप की अग्नि में झुलसने लगा । अंत में उसने यह निश्चय किया कि उन्हें जो शक्ति और स्थिति मिली है , उसे व्यर्थ के कामों में नहीं , स्वार्थपूर्ण कार्यों में भी नहीं , केवल विश्व - मानव की सेवा में प्रयुक्त करेंगे । विजय तो आत्मा की वस्तु है और वह आत्मा के माध्यम से ही प्राप्त की जा सकती है ।
सम्राट अशोक ने अनेकों जन - कल्याणकारी कार्य किये ।
' सिकन्दर सरीखे अनेकों राजा और कारुं जैसे धन - कुबेर अनेकों इस पृथ्वी पर हो चुके हैं पर लोभ वश वे अपने प्राप्त साधनों को स्वार्थ की संकीर्ण परिधि में ही बाँधे रहे । फलस्वरूप न अपना हित कर सके न दूसरों का । अशोक ने परमार्थ बुद्धि का आश्रय लेकर अपने शासन काल के केवल 28 वर्षो में वह कार्य कर दिखाया जिससे अनन्त काल तक उसकी धर्म बुद्धि को सराहा जाता रहेगा ।
सम्राट अशोक सच्चे अर्थों में प्रजापालक था इसी लिए उसे ' अशोक महान ' कहा जाता है ।
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