गैरीबाल्डी ( जन्म 1807 ) में देशभक्ति और स्वाधीनता के गुण जन्मजात थे । गैरीबाल्डी ने लिखा है कि ये गुण उसे अपनी माता से मिले थे जो असाधारण दयालु प्रकृति की और कर्तव्य परायण स्त्री थीं । जिन दिनों गैरीबाल्डी ' मोंटीविडिओ ' नगर में था उसकी आर्थिक कठिनाइयाँ बहुत अधिक थीं , उसके अनेक मित्र व अन्य प्रसिद्ध व्यक्ति उसकी सहायता करने को तैयार रहते थे किन्तु उसका कहना था " दान की रोटी मुझे सदैव कड़वी जान पड़ती है ।" इस तरह की निस्पृह ता और त्याग की वृति के कारण उस गरीबी की दशा में भी सर्वत्र उनका सम्मान किया जाता था ।
गैरीबाल्डी की सच्चाई , ईमानदारी और वीरता की ख्याति सुनकर फ़्रांसिसी जल सेना के एडमिरल उनसे मिलने आये l वह सोचते थे इतना प्रसिद्ध सेनापति बड़ी शान के साथ रहता होगा , पर उसने देखा कि उसका घर एक मामूली किसान की तरह है । ।
घर के अन्दर अँधेरा था , गैरीबाल्डी ने कहा कि मैंने मोंटीविडिओ की सरकार से राशन की व्यवस्था कर ली है , उसमे मोमबत्ती लिखना भूल गया , इस कारण अँधेरा है । लेकिन मैं समझता हूँ कि आप मुझसे वार्तालाप करना चाहते हैं , न कि मुझे देखना ।
बातचीत के बाद एडमिरल ने वहां के युद्ध मंत्री को सारा हाल सुनाया तो उसने एक बड़ी धन राशि उसके पास भिजवाई । गैरीबाल्डी ने उनसे कहा --- मुझे कभी उन चीजों की आवश्यकता ही अनुभव नहीं हुई जिसे आप अभाव समझते हैं । इस पैसे की मुझे तनिक भी आवश्यकता नहीं l
गैरीबाल्डी ने उसमे से केवल मोमबत्ती के लिए पैसा रखा और शेष धन अपने साथी , सैनिकों की विधवाओं और अनाथ बच्चों में बंटवा दी । उसने कभी अपने लिए धन , मान - प्रतिष्ठा का लालच नहीं किया , वह जो कुछ कार्य करता था उसका उद्देश्य न्याय रक्षा के लिए हर तरह से प्रयत्न करना होता था । कई लेखकों ने उसे ' परोपकार का अवतार ' कहा है
गैरीबाल्डी की सच्चाई , ईमानदारी और वीरता की ख्याति सुनकर फ़्रांसिसी जल सेना के एडमिरल उनसे मिलने आये l वह सोचते थे इतना प्रसिद्ध सेनापति बड़ी शान के साथ रहता होगा , पर उसने देखा कि उसका घर एक मामूली किसान की तरह है । ।
घर के अन्दर अँधेरा था , गैरीबाल्डी ने कहा कि मैंने मोंटीविडिओ की सरकार से राशन की व्यवस्था कर ली है , उसमे मोमबत्ती लिखना भूल गया , इस कारण अँधेरा है । लेकिन मैं समझता हूँ कि आप मुझसे वार्तालाप करना चाहते हैं , न कि मुझे देखना ।
बातचीत के बाद एडमिरल ने वहां के युद्ध मंत्री को सारा हाल सुनाया तो उसने एक बड़ी धन राशि उसके पास भिजवाई । गैरीबाल्डी ने उनसे कहा --- मुझे कभी उन चीजों की आवश्यकता ही अनुभव नहीं हुई जिसे आप अभाव समझते हैं । इस पैसे की मुझे तनिक भी आवश्यकता नहीं l
गैरीबाल्डी ने उसमे से केवल मोमबत्ती के लिए पैसा रखा और शेष धन अपने साथी , सैनिकों की विधवाओं और अनाथ बच्चों में बंटवा दी । उसने कभी अपने लिए धन , मान - प्रतिष्ठा का लालच नहीं किया , वह जो कुछ कार्य करता था उसका उद्देश्य न्याय रक्षा के लिए हर तरह से प्रयत्न करना होता था । कई लेखकों ने उसे ' परोपकार का अवतार ' कहा है
Garibaldi is great man for itli just like mahatma gandhi
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