व्यक्ति चाहे अकिंचन स्थिति में हो परन्तु उसके पास व्यवहार कुशलता और व्यवहारिक सूझ - बूझ के दो रत्न हों तो वह स्वयं को अच्छे पद और प्रतिष्ठा पर आसीन कर सकता है ।
सिसरो का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ था । अभिजात तंत्र के अत्याचारों के कारण उनका मन विद्रोही हो गया था । उन्होंने सशस्त्र क्रांति की अपेक्षा जनक्रांति का मार्ग चुना और जनसाधारण में चेतना जाग्रत करने के लिए सिसरो ने भाषण का अभ्यास किया । निरंतर प्रयास से उन्हें सफलता मिली , उनकी वाक्शक्ति लोगों को चमत्कृत करने लगी ।
अपनी योग्यता से वे अच्छे पदों पर रहे । ई. पू. 63 में वे कौंसलर के पद पर चुने गये जो तत्कालीन संसद का महत्वपूर्ण पद था । इस पर रहते हुए उन्होंने जो व्याख्यान दिए , उनको संसार के सर्वोच्च साहित्य में स्थान मिला । आज भी दुनिया के उच्च शिक्षा प्राप्त विद्वान और विद्दार्थी उन भाषणों के अंश रटते और उद्धरित करते हैं ।
उन्होंने ये व्याख्यान एक महत्वाकांक्षी अनाचारी अधिकारी कातिलाइन के विरोध में दिए थे । सिसरो ने उसके षड्यंत्रों और कुटिल नीतियों का पर्दाफाश किया परिणाम स्वरुप जनता ने उसका अस्तित्व ही मिटा दिया ।
सिसरो का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ था । अभिजात तंत्र के अत्याचारों के कारण उनका मन विद्रोही हो गया था । उन्होंने सशस्त्र क्रांति की अपेक्षा जनक्रांति का मार्ग चुना और जनसाधारण में चेतना जाग्रत करने के लिए सिसरो ने भाषण का अभ्यास किया । निरंतर प्रयास से उन्हें सफलता मिली , उनकी वाक्शक्ति लोगों को चमत्कृत करने लगी ।
अपनी योग्यता से वे अच्छे पदों पर रहे । ई. पू. 63 में वे कौंसलर के पद पर चुने गये जो तत्कालीन संसद का महत्वपूर्ण पद था । इस पर रहते हुए उन्होंने जो व्याख्यान दिए , उनको संसार के सर्वोच्च साहित्य में स्थान मिला । आज भी दुनिया के उच्च शिक्षा प्राप्त विद्वान और विद्दार्थी उन भाषणों के अंश रटते और उद्धरित करते हैं ।
उन्होंने ये व्याख्यान एक महत्वाकांक्षी अनाचारी अधिकारी कातिलाइन के विरोध में दिए थे । सिसरो ने उसके षड्यंत्रों और कुटिल नीतियों का पर्दाफाश किया परिणाम स्वरुप जनता ने उसका अस्तित्व ही मिटा दिया ।
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