' साम्राज्यवाद एक प्रकार का अभिशाप है , जो लाखों निर्दोष लोगों का संहार कर डालता है और लाखों का ही घर - बार नष्ट कर के उन्हें पथ का भिखारी बना देता है । '
इतिहास में अकबर को महान कहा गया है और वास्तव में भारत में मुगल साम्राज्य की जड़ को मजबूत करने वाला वही था किन्तु वह साम्राज्यवादी था और सम्पूर्ण देश को अपने अधिकार में कर लेना चाहता था । इसी लालसा में उसने गौंडवाना ( मध्य प्रदेश ) पर आक्रमण किया वहां की रानी दुर्गावती अपने पति दलपतिशाह की मृत्यु के बाद राजधानी गढ़मंडला में रहकर राज - काज सम्हालती थीं ।
अकबर को रानी दुर्गावती से कभी भी यह आशंका नहीं हो सकती थी कि वह अकबर की सल्तनत पर आक्रमण करेंगी या फिर उससे शत्रुता ठान कर उसे किसी प्रकार की हानि पहुँचाने का प्रयत्न करेंगी । फिर स्त्री पर आक्रमण करना वीरता की बात नहीं है । रानी दुर्गावती एक ऐसे प्रदेश में थीं जो दिल्ली और आगरा जैसे सभ्यता के केन्द्रों से बहुत दूर था । उसका कैसा भी भला या बुरा प्रभाव मुगल साम्राज्य पर नहीं पड़ सकता था पर इनमे से किसी भी बात का विचार किये बिना उसने गौंडवाना को रौंद डालने का निश्चय कर लिया ।
' धन और राज्य की लालसा मनुष्य को न्याय - अन्याय के प्रति अन्धा बना देती है । वह यह विचार कर ही नहीं सकता कि इसके लिए लोग उसे भला कहेंगे या बुरा ? लोभ उसकी आँखों पर ऐसी पट्टी बाँध देता है कि उसे सिवाय अपनी लालसापूर्ति के और कोई बात दिखाई नहीं देती है l
इस प्रकार का आचरण मनुष्य को कभी स्थाई रूप से लाभदायक नहीं हो सकता l उसका दूषित प्रभाव दूर - दूर तक पड़ता है ----- राज्य के लोभ से ही अकबर के इकलौते पुत्र जहाँगीर ने विद्रोह किया l जहाँगीर के बेटे खुर्रम ने और भी अधिक उत्पात मचाया और औरंगजेब ने तो राज्य पाने के लिए तीनों भाइयों का सिर काटकर अपने पिता को भी सात वर्ष तक कैद रखा l
रानी दुर्गावती पर आक्रमण करने का कोई कारण न होते हुए भी केवल इस भावना से चढ़ दौड़ना कि हमारी शक्ति और साधनों का वह मुकाबला कर ही नहीं सकेगी तो उसे लूटा क्यों न जाये , उच्चता तथा श्रेष्ठता का प्रमाण नहीं माना जा सकता l
वीरांगनाओं में रानी दुर्गावती का स्थान सर्वोच्च है l उन्होंने दो बार अकबर की शक्तिशाली फौज को पराजित किया , युद्ध क्षेत्र में उनकी वीरता , कौशल और शस्त्र - संचालन बेमिसाल है l
दुर्गावती मरकर भी अमर हैं l
इतिहास में अकबर को महान कहा गया है और वास्तव में भारत में मुगल साम्राज्य की जड़ को मजबूत करने वाला वही था किन्तु वह साम्राज्यवादी था और सम्पूर्ण देश को अपने अधिकार में कर लेना चाहता था । इसी लालसा में उसने गौंडवाना ( मध्य प्रदेश ) पर आक्रमण किया वहां की रानी दुर्गावती अपने पति दलपतिशाह की मृत्यु के बाद राजधानी गढ़मंडला में रहकर राज - काज सम्हालती थीं ।
अकबर को रानी दुर्गावती से कभी भी यह आशंका नहीं हो सकती थी कि वह अकबर की सल्तनत पर आक्रमण करेंगी या फिर उससे शत्रुता ठान कर उसे किसी प्रकार की हानि पहुँचाने का प्रयत्न करेंगी । फिर स्त्री पर आक्रमण करना वीरता की बात नहीं है । रानी दुर्गावती एक ऐसे प्रदेश में थीं जो दिल्ली और आगरा जैसे सभ्यता के केन्द्रों से बहुत दूर था । उसका कैसा भी भला या बुरा प्रभाव मुगल साम्राज्य पर नहीं पड़ सकता था पर इनमे से किसी भी बात का विचार किये बिना उसने गौंडवाना को रौंद डालने का निश्चय कर लिया ।
' धन और राज्य की लालसा मनुष्य को न्याय - अन्याय के प्रति अन्धा बना देती है । वह यह विचार कर ही नहीं सकता कि इसके लिए लोग उसे भला कहेंगे या बुरा ? लोभ उसकी आँखों पर ऐसी पट्टी बाँध देता है कि उसे सिवाय अपनी लालसापूर्ति के और कोई बात दिखाई नहीं देती है l
इस प्रकार का आचरण मनुष्य को कभी स्थाई रूप से लाभदायक नहीं हो सकता l उसका दूषित प्रभाव दूर - दूर तक पड़ता है ----- राज्य के लोभ से ही अकबर के इकलौते पुत्र जहाँगीर ने विद्रोह किया l जहाँगीर के बेटे खुर्रम ने और भी अधिक उत्पात मचाया और औरंगजेब ने तो राज्य पाने के लिए तीनों भाइयों का सिर काटकर अपने पिता को भी सात वर्ष तक कैद रखा l
रानी दुर्गावती पर आक्रमण करने का कोई कारण न होते हुए भी केवल इस भावना से चढ़ दौड़ना कि हमारी शक्ति और साधनों का वह मुकाबला कर ही नहीं सकेगी तो उसे लूटा क्यों न जाये , उच्चता तथा श्रेष्ठता का प्रमाण नहीं माना जा सकता l
वीरांगनाओं में रानी दुर्गावती का स्थान सर्वोच्च है l उन्होंने दो बार अकबर की शक्तिशाली फौज को पराजित किया , युद्ध क्षेत्र में उनकी वीरता , कौशल और शस्त्र - संचालन बेमिसाल है l
दुर्गावती मरकर भी अमर हैं l
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