' एक तो सत्य यों ही तेजवान होता है किन्तु जब वह किसी चरित्रवान की वाणी से निसृत होता है तो वह अपना असाधारण प्रभाव छोड़ता है l '
घटना 1946 की है । बम्बई बन्दरगाह के नौसैनिकों ने विद्रोह का झंडा खड़ा कर दिया । अंग्रेज अधिकारियों ने उन्हें गोली से भून देने की धमकी दी थी साथ ही भारतीय नौसैनिकों ने जवाब में उनको खाक कर देने की चुनौती दे रखी थी ।
बड़ी भयानक स्थिति थी l उस समय बम्बई का नेतृत्व सरदार पटेल के हाथ में था । लोग उनकी तरफ बड़ी घबड़ाई नज़रों से देख रहे थे किन्तु सरदार पर परिस्थितियों का रंच - मात्र भी प्रभाव नहीं पड़ा , न तो वे अधीर थे और न ही विचलित ।
बम्बई के गवर्नर ने उन्हें बुलाया और बहुत तुर्सी दिखाई । इस पर सरदार ने शेर की तरह दहाड़ कर गवर्नर से कह दिया कि वे अपनी सरकार से पूछ लें कि अंग्रेज भारत से मित्रों के रूप में विदा होंगे या लाशों के रूप में ।
अंग्रेज गवर्नर सरदार का रौद्र रूप देखकर काँप उठा और फिर उसने कुछ ऐसा किया कि बम्बई प्रसंग में अंग्रेज सरकार को समझौता करना ही पड़ा ।
घटना 1946 की है । बम्बई बन्दरगाह के नौसैनिकों ने विद्रोह का झंडा खड़ा कर दिया । अंग्रेज अधिकारियों ने उन्हें गोली से भून देने की धमकी दी थी साथ ही भारतीय नौसैनिकों ने जवाब में उनको खाक कर देने की चुनौती दे रखी थी ।
बड़ी भयानक स्थिति थी l उस समय बम्बई का नेतृत्व सरदार पटेल के हाथ में था । लोग उनकी तरफ बड़ी घबड़ाई नज़रों से देख रहे थे किन्तु सरदार पर परिस्थितियों का रंच - मात्र भी प्रभाव नहीं पड़ा , न तो वे अधीर थे और न ही विचलित ।
बम्बई के गवर्नर ने उन्हें बुलाया और बहुत तुर्सी दिखाई । इस पर सरदार ने शेर की तरह दहाड़ कर गवर्नर से कह दिया कि वे अपनी सरकार से पूछ लें कि अंग्रेज भारत से मित्रों के रूप में विदा होंगे या लाशों के रूप में ।
अंग्रेज गवर्नर सरदार का रौद्र रूप देखकर काँप उठा और फिर उसने कुछ ऐसा किया कि बम्बई प्रसंग में अंग्रेज सरकार को समझौता करना ही पड़ा ।
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