अर्नेस्ट विंगफोर्स ने उनके विषय में कहा है ----- " उनकी प्रखर योग्यता , न्याय सामर्थ्य और चिंताजनक स्थिति में कोई न कोई राह खोज लेने की क्षमता ही वे योग्यताएं थीं जो उन्हें संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव पद तक ले गयीं और वे उस पद को साढ़े आठ वर्षों तक सफलतापूर्वक निभाते रह सके । "
उनका समय विश्व राजनीति की द्रष्टि से बड़ा ही विषम समय था । अपने कार्यकाल में उन्होंने संयुक्त राष्ट्र संघ को वास्तव में शक्तिशाली और समर्थ संघ बनाने का भरसक प्रयास किया था ।
हेमर शोल्ड पर उनकी माता का सर्वाधिक प्रभाव पड़ा , वे ईश्वर भक्त और दयालु महिला थीं । उनके विचारों और मार्गदर्शन ने हेमर शोल्ड को महान मानवतावादी राजनीतिज्ञ बना दिया ।
पच्चीस वर्ष की आयु में वे स्टाकहोम में शासकीय सेवा में नियुक्त हो गए । उन्होंने अपने देश स्वीडन में बेरोजगारी मिटाने के कार्य में महत्वपूर्ण सेवाएं दी और स्वीडन को आदर्श लोक कल्याणकारी राज्य बनाने की नीति निर्धारण में महत्वपूर्ण सहयोग दिया । जब अप्रैल 1953 में उन्होंने संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव का पद भार सम्हाला , तब उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय सचिवालय के 3500 कर्मचारियों को किसी भी राष्ट्र के प्रभाव से मुक्त रखने की घोषणा कर दी । वे नहीं चाहते थे कि संयुक्त राष्ट्र संघ किन्ही देशों के दबाव को सहने को विवश हो ।
उनके व्यक्तित्व व व्यवहार कौशल का प्रमाण 1954 में देखने को मिला जब संयुक्तराष्ट्र में कोरिया के युद्ध में जनवादी चीन द्वारा बंदी बनाये गए एयरमैनो को मुक्त करने का प्रस्ताव पारित कर लिया गया । चीन ने इसे अपना निजी मामला बताते हुए इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया था ।
यह हेमर शोल्ड का नीति कौशल था कि वे चीन से आमंत्रण पाकर पेकिंग गए , वहां के विदेश मंत्री से वार्तालाप हुआ l चीन डाग हेमर शोल्ड के आग्रह को ठुकरा न सका और उनकी खातिर कोरिया युद्ध में पकडे गए सभी एयरमैनो को छोड़ दिया । । यह हेमर शोल्ड के व्यक्तित्व की विजय थी ।
कांगो के शीत युद्ध को समाप्त करने के लिए वे अफ्रीका गए थे , वहां से जाते समय एक विमान दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो गई l यह विश्व के महान शान्तिवादी व्यक्ति का विश्व शान्ति के लिए दिया गया बलिदान था ।
राष्ट्रीय पुनरुत्थान और विश्व शान्ति के कार्यों में उनकी इतनी दिलचस्पी थी कि वे आजीवन अविवाहित ही रहे l वे कहते थे ---- मुझ पर विश्व शान्ति और जन - कल्याण के बहुत से दायित्व हैं मैं अपना परिवार बनाकर क्या करूँ , यह सारा संसार ही मेरा परिवार है ।
उनका समय विश्व राजनीति की द्रष्टि से बड़ा ही विषम समय था । अपने कार्यकाल में उन्होंने संयुक्त राष्ट्र संघ को वास्तव में शक्तिशाली और समर्थ संघ बनाने का भरसक प्रयास किया था ।
हेमर शोल्ड पर उनकी माता का सर्वाधिक प्रभाव पड़ा , वे ईश्वर भक्त और दयालु महिला थीं । उनके विचारों और मार्गदर्शन ने हेमर शोल्ड को महान मानवतावादी राजनीतिज्ञ बना दिया ।
पच्चीस वर्ष की आयु में वे स्टाकहोम में शासकीय सेवा में नियुक्त हो गए । उन्होंने अपने देश स्वीडन में बेरोजगारी मिटाने के कार्य में महत्वपूर्ण सेवाएं दी और स्वीडन को आदर्श लोक कल्याणकारी राज्य बनाने की नीति निर्धारण में महत्वपूर्ण सहयोग दिया । जब अप्रैल 1953 में उन्होंने संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव का पद भार सम्हाला , तब उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय सचिवालय के 3500 कर्मचारियों को किसी भी राष्ट्र के प्रभाव से मुक्त रखने की घोषणा कर दी । वे नहीं चाहते थे कि संयुक्त राष्ट्र संघ किन्ही देशों के दबाव को सहने को विवश हो ।
उनके व्यक्तित्व व व्यवहार कौशल का प्रमाण 1954 में देखने को मिला जब संयुक्तराष्ट्र में कोरिया के युद्ध में जनवादी चीन द्वारा बंदी बनाये गए एयरमैनो को मुक्त करने का प्रस्ताव पारित कर लिया गया । चीन ने इसे अपना निजी मामला बताते हुए इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया था ।
यह हेमर शोल्ड का नीति कौशल था कि वे चीन से आमंत्रण पाकर पेकिंग गए , वहां के विदेश मंत्री से वार्तालाप हुआ l चीन डाग हेमर शोल्ड के आग्रह को ठुकरा न सका और उनकी खातिर कोरिया युद्ध में पकडे गए सभी एयरमैनो को छोड़ दिया । । यह हेमर शोल्ड के व्यक्तित्व की विजय थी ।
कांगो के शीत युद्ध को समाप्त करने के लिए वे अफ्रीका गए थे , वहां से जाते समय एक विमान दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो गई l यह विश्व के महान शान्तिवादी व्यक्ति का विश्व शान्ति के लिए दिया गया बलिदान था ।
राष्ट्रीय पुनरुत्थान और विश्व शान्ति के कार्यों में उनकी इतनी दिलचस्पी थी कि वे आजीवन अविवाहित ही रहे l वे कहते थे ---- मुझ पर विश्व शान्ति और जन - कल्याण के बहुत से दायित्व हैं मैं अपना परिवार बनाकर क्या करूँ , यह सारा संसार ही मेरा परिवार है ।
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