' बुराइयाँ छोड़ने का संकल्प दिलाने का यथार्थ अधिकार उन्ही को है जो मन , वाणी अंत:करण से बुराइयों से पूर्णतया मुक्त हो चुके हैं । '
एक था ' जेकस ' । वह शराब घर चलाता था । उसके शराब घरों में अधिकांश मजदूर और गरीब लोग आते थे । ग्राहकों को फंसाने के लिए पहले वह अपने आदमियों को उनसे दोस्ती करने भेज देता था , वे उनसे दोस्ती कर उनमे शराब की लत लगवा देता था । जब उनका धन ख़त्म हो जाता था तो उन्हें उधार देता था और फिर बड़ी बेरहमी से , हंटर और कोड़ों की मार से अपना पैसा वसूल करता था ।
एक बार उस गाँव में ईसा का आगमन हुआ । लोगों ने बताया कि जेकस बहुत दुराचारी है और वह ईसा के आने से बहुत क्रुद्ध है क्योंकि ईसा के उपदेशों से प्रभावित होकर कईयों ने शराब , नशा और कुमार्ग छोड़ा था । जब जेकस के नाराज होने की बात का ईसा को पता चला तो उन्होंने कहा ---- " कल मैं जेक्स के घर जाऊँगा और उसका आतिथ्य ग्रहण करूँगा । "
जेकस को जैसे ही इस बात का पता चला वह जंगल में भाग गया क्योंकि उसने ईसा के चुम्बकीय व्यक्तित्व के बारे में सुन रखा था ।
ईसा भी उसे खोजते हुए जंगल पहुंचे और कहा ----" आज मैं तुम्हारा अतिथि बनने आया हूँ । " ऐसा कहकर उसे ह्रदय से लिपटा लिया । अन्य शिष्य सोच रहे थे कि शायद अब ईसा उपदेश देंगे , सत्संकल्पों के लिए दबाव डालेंगे लेकिन वे दोनों मौन थे ।
अंत में जेकस बोला ----- " प्रभु ! मैं आपके सामने नत मस्तक हूँ , आज आपके सामने मैं संकल्प लेता हूँ की अब न तो मैं कुमार्ग पर चलूँगा और न दूसरों को प्रेरित करूँगा । अपनी सारी कमाई गरीबों की सेवा में अर्पित करूँगा । " उसने ईसा के चरणों में मस्तक झुकाया और चला गया ।
ईसा ने शिष्यों से कहा ----- " कोई व्यक्ति बुरा नहीं होता और न खतरनाक । उससे कुछ भूलें होती हैं जिनका परिमार्जन निश्चित रूप से सम्भव है । "
एक था ' जेकस ' । वह शराब घर चलाता था । उसके शराब घरों में अधिकांश मजदूर और गरीब लोग आते थे । ग्राहकों को फंसाने के लिए पहले वह अपने आदमियों को उनसे दोस्ती करने भेज देता था , वे उनसे दोस्ती कर उनमे शराब की लत लगवा देता था । जब उनका धन ख़त्म हो जाता था तो उन्हें उधार देता था और फिर बड़ी बेरहमी से , हंटर और कोड़ों की मार से अपना पैसा वसूल करता था ।
एक बार उस गाँव में ईसा का आगमन हुआ । लोगों ने बताया कि जेकस बहुत दुराचारी है और वह ईसा के आने से बहुत क्रुद्ध है क्योंकि ईसा के उपदेशों से प्रभावित होकर कईयों ने शराब , नशा और कुमार्ग छोड़ा था । जब जेकस के नाराज होने की बात का ईसा को पता चला तो उन्होंने कहा ---- " कल मैं जेक्स के घर जाऊँगा और उसका आतिथ्य ग्रहण करूँगा । "
जेकस को जैसे ही इस बात का पता चला वह जंगल में भाग गया क्योंकि उसने ईसा के चुम्बकीय व्यक्तित्व के बारे में सुन रखा था ।
ईसा भी उसे खोजते हुए जंगल पहुंचे और कहा ----" आज मैं तुम्हारा अतिथि बनने आया हूँ । " ऐसा कहकर उसे ह्रदय से लिपटा लिया । अन्य शिष्य सोच रहे थे कि शायद अब ईसा उपदेश देंगे , सत्संकल्पों के लिए दबाव डालेंगे लेकिन वे दोनों मौन थे ।
अंत में जेकस बोला ----- " प्रभु ! मैं आपके सामने नत मस्तक हूँ , आज आपके सामने मैं संकल्प लेता हूँ की अब न तो मैं कुमार्ग पर चलूँगा और न दूसरों को प्रेरित करूँगा । अपनी सारी कमाई गरीबों की सेवा में अर्पित करूँगा । " उसने ईसा के चरणों में मस्तक झुकाया और चला गया ।
ईसा ने शिष्यों से कहा ----- " कोई व्यक्ति बुरा नहीं होता और न खतरनाक । उससे कुछ भूलें होती हैं जिनका परिमार्जन निश्चित रूप से सम्भव है । "
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