मनुष्य की एक मौलिक विशेषता है ---- महत्वाकांक्षा | वह ऊँचा उठाना चाहता है , आगे बढ़ना चाहता है । इस मौलिक प्रवृति को तृप्त करने के लिए कौन क्या रास्ता चुनता है , किन प्रयासों का आश्रय लेता है ? यह उसकी अपनी सूझ - बूझ पर निर्भर है |
प्रतिफल सुखद हो इसके लिए दूरगामी परिणामों पर विचार करना चाहिए ।
' चासनी में पंख फंसाकर बेमौत मरने वाली मक्खी का नहीं , पुष्प का सौन्दर्य विलोकन और रसास्वादन करने वाले भौंरे का अनुकरण करना चाहिए । बया घोंसला बनाती है और परिवार सहित सुखपूर्वक रहती है । मकड़ी कीड़े फंसाने का जाल बनाती है और उसमे खुद ही उलझ कर मरती है l हमारी विचारधारा दूरदर्शी विवेकशीलों जैसी होनी चाहिए ।
प्रतिफल सुखद हो इसके लिए दूरगामी परिणामों पर विचार करना चाहिए ।
' चासनी में पंख फंसाकर बेमौत मरने वाली मक्खी का नहीं , पुष्प का सौन्दर्य विलोकन और रसास्वादन करने वाले भौंरे का अनुकरण करना चाहिए । बया घोंसला बनाती है और परिवार सहित सुखपूर्वक रहती है । मकड़ी कीड़े फंसाने का जाल बनाती है और उसमे खुद ही उलझ कर मरती है l हमारी विचारधारा दूरदर्शी विवेकशीलों जैसी होनी चाहिए ।
No comments:
Post a Comment