' नांव की तली में छेद हो जाने पर उसमें बैठे सभी यात्री मंझधार में डूबते हैं । '
चिंतन और चरित्र यदि निम्न स्तर का है तो उसका प्रतिफल भी दुःखद, संकट ग्रस्त एवं विनाशकारी होगा । उन दुष्परिणामों को कर्ता स्वयं तो भोगता ही है , साथ ही अपने सम्बद्ध परिकर को भी दलदल में घसीट ले जाता है । स्वार्थी , विलासी और कुकर्मी स्वयं तो आत्म- प्रताड़ना , लोक - भर्त्सना और दैवी दण्ड - विधान की आग में जलता ही है , साथ ही अपने परिवार , सम्बन्धी , मित्रों और स्वजनों को भी अपने जाल - जंजाल में फंसाकर अपनी ही तरह दुर्गति भुगतने के लिए बाधित करता है ।
चिंतन और चरित्र यदि निम्न स्तर का है तो उसका प्रतिफल भी दुःखद, संकट ग्रस्त एवं विनाशकारी होगा । उन दुष्परिणामों को कर्ता स्वयं तो भोगता ही है , साथ ही अपने सम्बद्ध परिकर को भी दलदल में घसीट ले जाता है । स्वार्थी , विलासी और कुकर्मी स्वयं तो आत्म- प्रताड़ना , लोक - भर्त्सना और दैवी दण्ड - विधान की आग में जलता ही है , साथ ही अपने परिवार , सम्बन्धी , मित्रों और स्वजनों को भी अपने जाल - जंजाल में फंसाकर अपनी ही तरह दुर्गति भुगतने के लिए बाधित करता है ।
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