सिकन्दर ने देशद्रोही राजा आम्भीक के निमंत्रण पर भारत पर आक्रमण किया । जब कोई पापी किसी मर्यादा की रेखा का उल्लंघन कर उदाहरण बन जाता है , तब अनेकों को उसका उल्लंघन करने में अधिक संकोच नहीं रह जाता ।
सिकंदर अनेक राजाओं को परास्त करते हुए भारत में आगे बढ़ता जा रहा था , अभिसार देश का राजा महाराज पुरु का मित्र था , किन्तु ज्योंही सिकन्दर तक्षशिला पहुंचा , अभिसार नरेश को भीरुता का दौरा पड़ा और तक्षशिला के राजा आम्भीक की देखा - देखी अभिसार नरेश भी सिकन्दर से जा मिला । भारतीयों की बुद्धि मूर्छित हो चुकी थी । किन्तु अभागे आम्भीक जैसे अनेक देशद्रोहियों के कुत्सित प्रयत्नों के बावजूद भी एक अकेले देशभक्त पुरु ने भारतीय गौरव की लाज रखी । भारतीय इतिहास में महाराज पुरु का बहुत सम्मान है । इतिहास में केवल यही एक ऐसे वीर पुरुष हैं , जिसने पराजित होने पर भी विजयी को पीछे हटने पर विवश कर दिया ।
सिकंदर अनेक राजाओं को परास्त करते हुए भारत में आगे बढ़ता जा रहा था , अभिसार देश का राजा महाराज पुरु का मित्र था , किन्तु ज्योंही सिकन्दर तक्षशिला पहुंचा , अभिसार नरेश को भीरुता का दौरा पड़ा और तक्षशिला के राजा आम्भीक की देखा - देखी अभिसार नरेश भी सिकन्दर से जा मिला । भारतीयों की बुद्धि मूर्छित हो चुकी थी । किन्तु अभागे आम्भीक जैसे अनेक देशद्रोहियों के कुत्सित प्रयत्नों के बावजूद भी एक अकेले देशभक्त पुरु ने भारतीय गौरव की लाज रखी । भारतीय इतिहास में महाराज पुरु का बहुत सम्मान है । इतिहास में केवल यही एक ऐसे वीर पुरुष हैं , जिसने पराजित होने पर भी विजयी को पीछे हटने पर विवश कर दिया ।
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