पैसे की कीमत दुनिया में नगण्य है , सबसे पहली वस्तु है व्यक्ति का आत्माभिमान और उसकी रक्षा के लिए सबसे पहली वस्तु है --- स्वाधीनता । दासता चाहे राजनैतिक हो या बौद्धिक , व्यक्ति को आत्महीनता की स्थिति में धकेल देती है । ऐसा व्यक्ति जीवन में कभी उन्नति नहीं कर सकता है । उन्नति के लिए चिंतन उन्मुक्त होना चाहिए । चिन्तन उन्मुक्त तभी हो सकता है जब अपनी बौद्धिक क्षमताओं को योजनाबद्ध काम करने के लिए वातावरण बाधक न हो पर पराधीनता में तो न अपना शरीर साथी न मन , सभी दूसरे की इच्छा पर आधारित !
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