' एक गरीब घर में जन्म लेकर अपनी कर्मठता और परिश्रम के बल पर भारत की सर्वोच्च शासन सभा के सदस्य के दर्जे तक पहुँच गये थे , पर उन्होंने अपनी उपलब्धियों का उपयोग सदैव कष्ट पीड़ित लोगों की सहायता के लिए ही किया । श्री गोखले ( जन्म 1866 ) जीवन के अंतिम समय तक एक मामूली घर में ही गुजारा करते रहे और इस लोक से विदा होते समय परिवार वालों के लिए नाममात्र की ही सम्पति छोड़ गये । '
बी. ए. पास करने के बाद वे अध्यापन कार्य करने लगे । यद्दपि उन्हें अंग्रेजी का प्रोफेसर नियुक्त किया गया था , पर आवश्यकता पड़ने पर उन्होंने कई वर्षों तक गणित , इतिहास और अर्थशास्त्र का अध्यापन भी किया । जब उनको अपने कॉलेज में गणित पढ़ाना पड़ा तो उन्होंने निजी तौर पर गणित का अध्ययन करके योग्यता इतनी प्राप्त कर ली कि ' अर्थमेटिक ' की एक बहुत बढ़िया पुस्तक लिखकर तैयार कर दी जो समस्त महाराष्ट्र के स्कूलों में ऐसी पसंद की गई कि उसके पचासों संस्करण छप गए और लाखों कापियां बिक गईं ।
गणित के अध्ययन से श्री गोखले को यह लाभ हुआ कि अपने राजनीतिक और सामाजिक जीवन में उन्होंने जो भाषण दिए, उनमे प्रत्येक विषय के आंकड़े इतने प्रमाणिक ढंग से और स्पष्ट रूप से दिए जाते थे कि उन्हें कोई काट नहीं सकता था । इसी कारण गवर्नर जनरल की कौंसिल में उनके ' बजट ' सम्बन्धी भाषण बड़े महत्व की निगाह से देखे जाते थे और अंग्रेज अधिकारी भी उनका उत्तर देने से घबराते थे ।
बी. ए. पास करने के बाद वे अध्यापन कार्य करने लगे । यद्दपि उन्हें अंग्रेजी का प्रोफेसर नियुक्त किया गया था , पर आवश्यकता पड़ने पर उन्होंने कई वर्षों तक गणित , इतिहास और अर्थशास्त्र का अध्यापन भी किया । जब उनको अपने कॉलेज में गणित पढ़ाना पड़ा तो उन्होंने निजी तौर पर गणित का अध्ययन करके योग्यता इतनी प्राप्त कर ली कि ' अर्थमेटिक ' की एक बहुत बढ़िया पुस्तक लिखकर तैयार कर दी जो समस्त महाराष्ट्र के स्कूलों में ऐसी पसंद की गई कि उसके पचासों संस्करण छप गए और लाखों कापियां बिक गईं ।
गणित के अध्ययन से श्री गोखले को यह लाभ हुआ कि अपने राजनीतिक और सामाजिक जीवन में उन्होंने जो भाषण दिए, उनमे प्रत्येक विषय के आंकड़े इतने प्रमाणिक ढंग से और स्पष्ट रूप से दिए जाते थे कि उन्हें कोई काट नहीं सकता था । इसी कारण गवर्नर जनरल की कौंसिल में उनके ' बजट ' सम्बन्धी भाषण बड़े महत्व की निगाह से देखे जाते थे और अंग्रेज अधिकारी भी उनका उत्तर देने से घबराते थे ।
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