' अवन्तिकाबाई ने अपने व्यवहारिक आचरण से यह सिद्ध कर दिया कि यदि हम ईमानदारी और सच्चाई से काम लें तो हमारे विरोधियों को भी हमारी प्रशंसा करनी पड़ेगी ।
1923 में अवन्तिका बाई बम्बई कारपोरेशन की सदस्या नियुक्त की गईं और आठ वर्ष तक वे वहां रहकर जनता के हित में विभिन्न कार्य करती रहीं । उन्होंने बम्बई नगर में कई जच्चाखाने खुलवाये और ऐसी व्यवस्था की कि उनमे गरीब वर्ग की महिलाएं विशेष रूप से लाभ उठा सकें ।
उन्होंने वहां यह प्रस्ताव रखा कि कारपोरेशन के सभी कर्मचारी स्वदेशी वस्त्र व्यवहार करें जब यह प्रस्ताव कुछ संशोधनों से पारित हो गया तो उन्हें बड़ी प्रसन्नता हुई , क्योंकि इस प्रकार कारपोरेशन ने स्वदेशी के सिद्धांत को स्वीकार कर लिया । ।
अपनी सदस्यता के आठ वर्षों में उन्होंने जितने भी प्रस्ताव पेश किये वे सब जन सेवा की भावना से होते थे । उन्होंने कभी भी अपना कोई स्वार्थ पूरा नहीं किया । किसी अवसर पर म्युनिसिपल कमिश्नर मि. क्लेटन ने कहा था ----- " अवन्तिका बाई के कारण यहाँ का वातावरण गंभीर रहता है और समस्त चर्चा ऊँचे दर्जे की होती है । उनकी ईमानदारी और स्पष्टता लाजवाब है l "
1923 में अवन्तिका बाई बम्बई कारपोरेशन की सदस्या नियुक्त की गईं और आठ वर्ष तक वे वहां रहकर जनता के हित में विभिन्न कार्य करती रहीं । उन्होंने बम्बई नगर में कई जच्चाखाने खुलवाये और ऐसी व्यवस्था की कि उनमे गरीब वर्ग की महिलाएं विशेष रूप से लाभ उठा सकें ।
उन्होंने वहां यह प्रस्ताव रखा कि कारपोरेशन के सभी कर्मचारी स्वदेशी वस्त्र व्यवहार करें जब यह प्रस्ताव कुछ संशोधनों से पारित हो गया तो उन्हें बड़ी प्रसन्नता हुई , क्योंकि इस प्रकार कारपोरेशन ने स्वदेशी के सिद्धांत को स्वीकार कर लिया । ।
अपनी सदस्यता के आठ वर्षों में उन्होंने जितने भी प्रस्ताव पेश किये वे सब जन सेवा की भावना से होते थे । उन्होंने कभी भी अपना कोई स्वार्थ पूरा नहीं किया । किसी अवसर पर म्युनिसिपल कमिश्नर मि. क्लेटन ने कहा था ----- " अवन्तिका बाई के कारण यहाँ का वातावरण गंभीर रहता है और समस्त चर्चा ऊँचे दर्जे की होती है । उनकी ईमानदारी और स्पष्टता लाजवाब है l "
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