' मनस्वी और कर्मठ व्यक्ति किसी भी दशा में क्यों न रहें वह समाज सेवा का कोई - न -कोई उपयोगी कार्य कर ही सकता है | '
लेनिन को तीन वर्ष के लिए साइबेरिया में निर्वासन का दंड दिया गया । साइबेरिया उस ज़माने में रूस का काला पानी समझा जाता था । वहां की निर्वाह सम्बन्धी कठिनाइयों , एकांत और जेल में दिए जाने वाले कष्टों के कारण अनेक व्यक्ति आत्म हत्या कर लेते थे , कोई पागल हो जाते थे , कोई भूख से मर जाते थे लेकिन लेनिन के दिमाग में इतने विचार भरे हुए थे कि वह अपना तमाम वक्त इसी में खर्च कर देता था । । लेनिन ने वहां रहते हुए दो उपयोगी पुस्तके लिखीं जो आगे चलकर श्रमजीवी आन्दोलन के कार्य कर्ताओं के लिए बड़ी प्रेरणादायक सिद्ध हुईं ।
लेनिन को तीन वर्ष के लिए साइबेरिया में निर्वासन का दंड दिया गया । साइबेरिया उस ज़माने में रूस का काला पानी समझा जाता था । वहां की निर्वाह सम्बन्धी कठिनाइयों , एकांत और जेल में दिए जाने वाले कष्टों के कारण अनेक व्यक्ति आत्म हत्या कर लेते थे , कोई पागल हो जाते थे , कोई भूख से मर जाते थे लेकिन लेनिन के दिमाग में इतने विचार भरे हुए थे कि वह अपना तमाम वक्त इसी में खर्च कर देता था । । लेनिन ने वहां रहते हुए दो उपयोगी पुस्तके लिखीं जो आगे चलकर श्रमजीवी आन्दोलन के कार्य कर्ताओं के लिए बड़ी प्रेरणादायक सिद्ध हुईं ।
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