डॉ. राजेन्द्र प्रसाद स्वतंत्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति थे | वे सरलता की प्रतिमूर्ति थे लेकिन उनकी स्मरण शक्ति इतनी आश्चर्य जनक थी कि एक दिन पं . नेहरु उनसे पूछ बैठे --- " ऐसा आला दिमाग कहाँ से पाया राजेन्द्र बाबू ? "
बात यह थी कि एक बार कांग्रेस कार्य कारिणी के प्रधान सदस्य परेशान थे कि वह रिपोर्ट नहीं मिल रही है जिसके लिए कार्य कारिणी की बैठक बुलाई गई थी | वह रिपोर्ट डॉ. राजेन्द्र प्रसाद पढ़ चुके थे | उनसे पूछा गया तो बोले ____ " हाँ मैं पढ़ चूका हूँ और आवश्यक हो तो उसे बोलकर पुन: नोट करा सकता हूँ | "
लोगों को विश्वास नहीं हुआ कि इतनी लम्बी रिपोर्ट एक बार पढ़ने के बाद ज्यों की त्यों लिखाई जा सकती है । रिपोर्ट खोजने के साथ पुनर्लेखन भी आरम्भ कर दिया गया । राजेन्द्र बाबू सौ से भी अधिक पृष्ठ लिखा चुके तब वह रिपोर्ट भी मिल गई कौतूहलवश लोगों ने मिलान किया तो कहीं भी अंतर नहीं मिला । ऐसी थी उनकी गजब की स्मरण शक्ति !
बात यह थी कि एक बार कांग्रेस कार्य कारिणी के प्रधान सदस्य परेशान थे कि वह रिपोर्ट नहीं मिल रही है जिसके लिए कार्य कारिणी की बैठक बुलाई गई थी | वह रिपोर्ट डॉ. राजेन्द्र प्रसाद पढ़ चुके थे | उनसे पूछा गया तो बोले ____ " हाँ मैं पढ़ चूका हूँ और आवश्यक हो तो उसे बोलकर पुन: नोट करा सकता हूँ | "
लोगों को विश्वास नहीं हुआ कि इतनी लम्बी रिपोर्ट एक बार पढ़ने के बाद ज्यों की त्यों लिखाई जा सकती है । रिपोर्ट खोजने के साथ पुनर्लेखन भी आरम्भ कर दिया गया । राजेन्द्र बाबू सौ से भी अधिक पृष्ठ लिखा चुके तब वह रिपोर्ट भी मिल गई कौतूहलवश लोगों ने मिलान किया तो कहीं भी अंतर नहीं मिला । ऐसी थी उनकी गजब की स्मरण शक्ति !
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