' वास्तव में स्त्री हो या पुरुष उसकी श्रेष्ठता का आधार उसका उज्ज्वल चरित्र और सच्ची कर्मनिष्ठ है । ' झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई को राज्य - भार संभाले कुछ ही समय हुआ था किओरछा के दीवान नत्थे खां ने 20 हजार सैनिकों की फौज लेकर झाँसी पर आक्रमण कर दिया । उसकी ताकत को देखकर कितने ही सरदार डर गए और झाँसी का शहर और किला नत्थे खां को सुपुर्द करने की सलाह देने लगे । यह सुनकर रानी को बड़ा क्रोध आया और उसने कहा ---- " बड़ी लज्जा की बात है आप मर्द होकर ऐसी बात मुख से निकलते हैं । मैं स्त्री होने पर भी अपने हक से पीछे न हटूंगी ।
यदि हम अपने न्याय पूर्ण अधिकार के लिए युद्ध में वीरता दिखाकर मर भी जाएँ तो हमको परलोक में भी सम्मानीय स्थान प्राप्त होगा । मैं युद्ध से पीछे नहीं हटूंगी । '
जब नत्थे खान की जौज झाँसी के किले के पास पहुंची तो उस पर तोपों की ऐसी गोलाबारी की गई वह सामने ठहर न सकी । तब उसने अपनी सेना को चार भागों में बांटकर नगर के चारों दरवाजों पर हमला किया । यहाँ भी झाँसी की सेना ने बड़ी वीरता से उसका मुकाबला किया । रानी स्वयं फाटकों पर घूमती हुई सिपाहियों का साहस बढ़ाती रहती थी । कई दिन बाद नत्थे खां का साहस टूट गया और वह हार मानकर अपने स्थान वापिस चला गया ।
यदि हम अपने न्याय पूर्ण अधिकार के लिए युद्ध में वीरता दिखाकर मर भी जाएँ तो हमको परलोक में भी सम्मानीय स्थान प्राप्त होगा । मैं युद्ध से पीछे नहीं हटूंगी । '
जब नत्थे खान की जौज झाँसी के किले के पास पहुंची तो उस पर तोपों की ऐसी गोलाबारी की गई वह सामने ठहर न सकी । तब उसने अपनी सेना को चार भागों में बांटकर नगर के चारों दरवाजों पर हमला किया । यहाँ भी झाँसी की सेना ने बड़ी वीरता से उसका मुकाबला किया । रानी स्वयं फाटकों पर घूमती हुई सिपाहियों का साहस बढ़ाती रहती थी । कई दिन बाद नत्थे खां का साहस टूट गया और वह हार मानकर अपने स्थान वापिस चला गया ।
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