विश्व विख्यात वैज्ञानिक एडीसन ने जीवनभर एकनिष्ठ भाव से आविष्कारों में रूचि ली और अपनी समूची तत्परता उसी में लगाई l ग्रामोफोन , टेप रिकार्डर , चल चित्र , कैमरा , बिजली के बल्ब जैसे छोटे - बड़े 2500 आविष्कारो का उनका अपना कीर्तिमान है l
एडीसन बचपन में ही बहरे हो गए थे , लेकिन इसका उन्होंने कभी दुःख नहीं माना l माता - पिता के शिक्षण से वे स्वावलंबी बने l एडीसन अपनी इस प्राकृतिक कमी को ईश्वरीय वरदान कहते थे l उनका कहना था कि दूसरे लोग बेकार की गप्प बाजी में अपना समय गुजारते हैं | मुझे ऐसी बरबादी का सामना नहीं करना पड़ता , वह समय मैं सोचने और पढ़ने में लगाता हूँ |
यदि दूसरों की तरह मेरे भी कान खुले होते , तो इतना न कर पाता, जो कर पाया l
एडीसन ने छोटे कामों में कभी हेठी अनुभव नहीं की | वे हर काम को प्रतिष्ठा का प्रश्न बनाकर , उसे सही , पूरा और शानदार स्तर का बनाने का प्रयत्न करते थे l रेल के डिब्बों में सब्जी बेचना , अखबार बेचना , तार बांटना जैसे अनेक छोटे काम उन्हें अपने आरंभिक जीवन में करने पड़े , पर उन्होंने इसमें कभी हीनता का अनुभव नहीं किया l हर काम को इज्जत का मानना और हर अवसर के महत्वपूर्ण सदुपयोग का शिक्षण , उन्हें अपने माता - पिता द्वारा बचपन से ही मिला था l
एडीसन बचपन में ही बहरे हो गए थे , लेकिन इसका उन्होंने कभी दुःख नहीं माना l माता - पिता के शिक्षण से वे स्वावलंबी बने l एडीसन अपनी इस प्राकृतिक कमी को ईश्वरीय वरदान कहते थे l उनका कहना था कि दूसरे लोग बेकार की गप्प बाजी में अपना समय गुजारते हैं | मुझे ऐसी बरबादी का सामना नहीं करना पड़ता , वह समय मैं सोचने और पढ़ने में लगाता हूँ |
यदि दूसरों की तरह मेरे भी कान खुले होते , तो इतना न कर पाता, जो कर पाया l
एडीसन ने छोटे कामों में कभी हेठी अनुभव नहीं की | वे हर काम को प्रतिष्ठा का प्रश्न बनाकर , उसे सही , पूरा और शानदार स्तर का बनाने का प्रयत्न करते थे l रेल के डिब्बों में सब्जी बेचना , अखबार बेचना , तार बांटना जैसे अनेक छोटे काम उन्हें अपने आरंभिक जीवन में करने पड़े , पर उन्होंने इसमें कभी हीनता का अनुभव नहीं किया l हर काम को इज्जत का मानना और हर अवसर के महत्वपूर्ण सदुपयोग का शिक्षण , उन्हें अपने माता - पिता द्वारा बचपन से ही मिला था l
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