एक बार चीन में भयंकर अकाल पड़ा , लोग भूख से मरने लगे l विश्व के उदार और धनी देशों ने चीन की जनता को भूख की मौत से बचाने के लिए अनाज से भरा हुआ एक जहाज भेजने का निश्चय किया l जहाज जब रवाना हुआ और इसकी खबर चीनी जनता को मिली तो यहाँ के लोगों ने निश्चय किया कि हम मर जायेंगे , पर विदेशी सहायता स्वीकार नहीं करेंगे l
सहायता भेजने वाले राष्ट्रों के नेताओं ने चीनी जनता की यह स्वाभिमान भरी यह घोषणा सुनी तो हतप्रभ रह गए --- चीनी जनता में ऐसा मनोबल कहाँ से जाग्रत हो गया ? इसका श्रेय दिया जाता है माओ - त्से - तुंग को , उन्होंने अपना सारा जीवन चीन का नवीन कायाकल्प करने में लगा दिया |
माओ ( जन्म 1893) जब पढ़ते थे तो उन्होंने देखा कि मजदूर , किसान बड़ी मेहनत करते हैं लेकिन उनके पास ठीक ढंग के वस्त्र नहीं हैं और न ही ढंग का खाना खा पाते हैं l दूसरी ओर जमींदार और उनके आदमी मजदूर किसानो के खून - पसीने की कमाई को लूट लेते हैं और ऐश - आराम और ठाठ - बाट का जीवन जीते हैं l तब उन्होंने निश्चय किया कि जीवन में आगे चलकर वे इस व्यवस्था में आमूल - चूल परिवर्तन के लिए प्रयास करेंगे l निरन्तर संघर्ष से उन्हें अपना स्वप्न साकार करने में सफलता मिली और 1949 में उनके नेतृत्व में चीनी सर्वहारा वर्ग ने सत्ता ग्रहण की l
सहायता भेजने वाले राष्ट्रों के नेताओं ने चीनी जनता की यह स्वाभिमान भरी यह घोषणा सुनी तो हतप्रभ रह गए --- चीनी जनता में ऐसा मनोबल कहाँ से जाग्रत हो गया ? इसका श्रेय दिया जाता है माओ - त्से - तुंग को , उन्होंने अपना सारा जीवन चीन का नवीन कायाकल्प करने में लगा दिया |
माओ ( जन्म 1893) जब पढ़ते थे तो उन्होंने देखा कि मजदूर , किसान बड़ी मेहनत करते हैं लेकिन उनके पास ठीक ढंग के वस्त्र नहीं हैं और न ही ढंग का खाना खा पाते हैं l दूसरी ओर जमींदार और उनके आदमी मजदूर किसानो के खून - पसीने की कमाई को लूट लेते हैं और ऐश - आराम और ठाठ - बाट का जीवन जीते हैं l तब उन्होंने निश्चय किया कि जीवन में आगे चलकर वे इस व्यवस्था में आमूल - चूल परिवर्तन के लिए प्रयास करेंगे l निरन्तर संघर्ष से उन्हें अपना स्वप्न साकार करने में सफलता मिली और 1949 में उनके नेतृत्व में चीनी सर्वहारा वर्ग ने सत्ता ग्रहण की l
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