मेजिनी का जन्म (1805) इटली में ऐसे युग में हुआ था जब इटली देशी और विदेशी शासको में बंटकर छिन्न - भिन्न हो चुका था , वहां की जनता की दशा निरंतर दयनीय होती जा रही थी |
मेजिनी जब छह वर्ष के थे , उनकी माँ उन्हें घर से बाहर घुमाने ले गई , वहां उन्होंने एक वृद्ध फकीर को बैठे देखा , बालक मेजिनी बहुत देर तक उसे देखता रहा फिर उस वृद्ध के गले से लिपट गया और अपनी माँ से आग्रह करने लगा कि ' इसे कुछ दे दो " l उस फकीर की आँखों में आंसू आ गए और वह उनकी माता से कहने लगा --- " तुम इस बच्चे को खूब स्नेह से पालो , क्योंकि यह मानव जाति से प्रेम करने वाला बनेगा l " उनका यह कथन आगे चलकर सत्य सिद्ध हुआ l
स्कूल और कॉलेज में शिक्षा प्राप्त करते समय भी मेजिनी के स्वभाव में ऐसी ही उदारता और परोपकार की वृत्ति थी l वह अपने खर्चे में कमी करके और कई तरह की असुविधा सहन कर के वह गरीब विद्दार्थियों के लिए कपड़े, पुस्तकें आदि की सहायता करता था l मेजिनी का चरित्र भी ऐसा निर्मल और नीति - न्याय युक्त रहता था कि अधिकांश विद्दार्थी उन्हें अपने नेता के रूप में देखते थे | दीन - दुःखियों और अन्याय पीड़ितों से हार्दिक सहानुभूति रखना , उनकी हर संभव मदद करना ---- ये मेजिनी के ऐसे सद्गुण थे कि गरीबी में जीवन काटने पर भी उन्होंने इतनी नामवरी हासिल की कि उनकी मृत्यु के इतने वर्ष बीत जाने पर भी मेजिनी का यश अपने देश में ही नहीं समस्त संसार में फैला हुआ है |
उस समय इटली पराधीन था , उन्होंने नि:स्वार्थ भाव से अपने देश की आजादी और खुशहाली के लिए कार्य किया |
मेजिनी जब छह वर्ष के थे , उनकी माँ उन्हें घर से बाहर घुमाने ले गई , वहां उन्होंने एक वृद्ध फकीर को बैठे देखा , बालक मेजिनी बहुत देर तक उसे देखता रहा फिर उस वृद्ध के गले से लिपट गया और अपनी माँ से आग्रह करने लगा कि ' इसे कुछ दे दो " l उस फकीर की आँखों में आंसू आ गए और वह उनकी माता से कहने लगा --- " तुम इस बच्चे को खूब स्नेह से पालो , क्योंकि यह मानव जाति से प्रेम करने वाला बनेगा l " उनका यह कथन आगे चलकर सत्य सिद्ध हुआ l
स्कूल और कॉलेज में शिक्षा प्राप्त करते समय भी मेजिनी के स्वभाव में ऐसी ही उदारता और परोपकार की वृत्ति थी l वह अपने खर्चे में कमी करके और कई तरह की असुविधा सहन कर के वह गरीब विद्दार्थियों के लिए कपड़े, पुस्तकें आदि की सहायता करता था l मेजिनी का चरित्र भी ऐसा निर्मल और नीति - न्याय युक्त रहता था कि अधिकांश विद्दार्थी उन्हें अपने नेता के रूप में देखते थे | दीन - दुःखियों और अन्याय पीड़ितों से हार्दिक सहानुभूति रखना , उनकी हर संभव मदद करना ---- ये मेजिनी के ऐसे सद्गुण थे कि गरीबी में जीवन काटने पर भी उन्होंने इतनी नामवरी हासिल की कि उनकी मृत्यु के इतने वर्ष बीत जाने पर भी मेजिनी का यश अपने देश में ही नहीं समस्त संसार में फैला हुआ है |
उस समय इटली पराधीन था , उन्होंने नि:स्वार्थ भाव से अपने देश की आजादी और खुशहाली के लिए कार्य किया |
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