आपत्तियों का कारन है ---- अधर्म --- जब मनुष्य के मन में सद्वृत्तियाँ रहती हैं , तो उनकी सुगंध से दिव्यलोक भरा - पूरा रहता है और जैसे यज्ञ की सुगंध से अच्छी वर्षा , अच्छा अन्न उत्पादन होता है , वैसे ही जनता की सदभावनाओं के फलस्वरूप ईश्वरीय कृपा की, सुख - शांति की वर्षा होती है l यदि लोगों के ह्रदय छल कपट , द्वेष , छल आदि दुर्भावों से भरे रहें , तो उनसे अद्रश्य लोक एक प्रकार से आध्यात्मिक दुर्गन्ध से भर जाते हैं l जैसे वायु के दूषित , दुर्गंधित होने से हैजा आदि बीमारियाँ फैलती हैं , वैसे ही पाप वृत्तियों के कारण सूक्ष्म लोकों का वातावरण गन्दा हो जाने से युद्ध , महामारी , दरिद्रता , अर्थ संकट , दैवी प्रकोप आदि उपद्रवों का आविर्भाव होता है l
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