धर्म सदा से सदाचरण , सज्जनता , न्यायशीलता , संयम , करुणा, सेवा परायणता जैसे सद्गुणों के रूप में परिभाषित किया जाता रहा है l मानव में ये तत्व समाविष्ट रहें , इसके लिए धर्म का अवलंबन जरुरी है l
धर्म और शक्ति ---- दोनों में से धर्म श्रेष्ठ है l धर्म सदा विजयी होता है , क्योंकि धर्म नीति एवं सदाचार को मान्यता देता है , शक्ति को नहीं l
भगवान राम इतने शक्ति संपन्न नहीं थे जितना कि रावण l रावण की सेना में अनेक प्रचंड योद्धा थे , मेघनाद अविजित एवं अपराजित था , विपुल वैभव , शक्ति और ऐश्वर्य के बावजूद उसका पतन हुआ l
इसी प्रकार कौरव सेना में भीष्म पितामह , द्रोणाचार्य , कर्ण आदि प्रबल योद्धा विद्दमान थे , जो अकेले दम पर पांडव सेना को परास्त कर सकते थे किन्तु इन योद्धाओं का पतन व पराजय हुई क्योंकि वे शक्ति के पुजारी थे धर्म के नहीं l
दूसरी ओर कमजोर समझी जाने वाली राम एवं पांडव सेना को जीत का श्रेय मिला , क्योंकि उनके साथ धर्म था l
व्यक्ति को केवल धर्म के मार्ग पर अडिग , अविचलित डटे रहना चाहिए , कभी भी धर्म के मार्ग से विचलित नहीं होना चाहिए l यदि ऐसा हो सका तो धर्म ढाल बनकर रक्षा करता है , सुरक्षा और संरक्षण प्रदान करता है l
धर्म और शक्ति ---- दोनों में से धर्म श्रेष्ठ है l धर्म सदा विजयी होता है , क्योंकि धर्म नीति एवं सदाचार को मान्यता देता है , शक्ति को नहीं l
भगवान राम इतने शक्ति संपन्न नहीं थे जितना कि रावण l रावण की सेना में अनेक प्रचंड योद्धा थे , मेघनाद अविजित एवं अपराजित था , विपुल वैभव , शक्ति और ऐश्वर्य के बावजूद उसका पतन हुआ l
इसी प्रकार कौरव सेना में भीष्म पितामह , द्रोणाचार्य , कर्ण आदि प्रबल योद्धा विद्दमान थे , जो अकेले दम पर पांडव सेना को परास्त कर सकते थे किन्तु इन योद्धाओं का पतन व पराजय हुई क्योंकि वे शक्ति के पुजारी थे धर्म के नहीं l
दूसरी ओर कमजोर समझी जाने वाली राम एवं पांडव सेना को जीत का श्रेय मिला , क्योंकि उनके साथ धर्म था l
व्यक्ति को केवल धर्म के मार्ग पर अडिग , अविचलित डटे रहना चाहिए , कभी भी धर्म के मार्ग से विचलित नहीं होना चाहिए l यदि ऐसा हो सका तो धर्म ढाल बनकर रक्षा करता है , सुरक्षा और संरक्षण प्रदान करता है l
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