बीसवीं सदी के प्रारंभ में जब चीन की चर्चा होती थी तो सभी उसे अफीमची और आलसियों का देश कहते थे l स्वाभिमानी चीनियों ने जब भयंकर अकाल में भी बाहर से आई मदद को नकार दिया और विदेशी सहायता अस्वीकार कर दी , तब लोगों ने जाना कि एक दिलेर , जाँबाज माओत्से -तुंग वहां उठ खड़ा हुआ है l बीहड़ जंगलों में मुक्ति संघर्ष के दौरान नेतृत्व करने वाले माओ ने बुर्जुआ वादी शासन तंत्र से मोर्चा लिया l क्रांति का सफल संचालन किया l राष्ट्र के गाँव - गाँव की सात हजार मील की पैदल यात्रा संपन्न की l संसार में सबसे ज्यादा आबादी वाला यह देश आज इतना आधुनिक , तकनीकी से संपन्न और विकसित बन गया है तो उसका श्री माओत्से तुंग को ही जाता है l
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