कितने ही व्यक्ति अनीति को देखकर उदास तो होते हैं , पर उसके प्रतिकार के लिए कुछ नहीं करते l बंगाल के राजा राममोहन राय उनमे से न थे l उनकी भाभी को बल पूर्वक सती करा दिया गया था l वह करुण द्रश्य वे कभी नहीं भूल पाए l उन्होंने प्रतिज्ञा कि कि वे इस कुप्रथा का अंत कर के ही रहेंगे l राजा राममोहन राय ने सरकार की सहायता से सती प्रथा विरोधी कानून पास कराया l इसी तरह नाना साहब पेशवा को अंग्रेजों की अनीति अच्छी नहीं लगी l उस समय अंग्रेजों के मुकाबले उनकी स्थिति बहुत साधारण थी , तब भी उन्होंने संकल्प लिया कि वे इस अन्याय का प्रतिकार करेंगे l नाना साहब पेशवा 1857 की क्रांति के सूत्रधार बने l इसके सूत्र संचालन के लिए उन्होंने दिन - रात एक कर दिए , जनता और राजाओं को जागरूक किया l उनके प्रयासों से सारे देश में क्रांति की आग भड़क गई थी l
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