किये गए अच्छे कर्मों से व्यक्ति अपने जीवन में पुण्यों का संचय करता है और बुरे कर्मों के द्वारा पाप का l कर्मों का फल तुरंत नहीं मिलता , इसलिए मनुष्य को अपने किये गए कर्मों का कोई एहसास नही होता l उसे यही लगता है कि इतने सारे लोग गलत कार्य कर रहे हैं और जीवन में सफल हैं , सुख भोग रहे हैं तो वह भी क्यों न करे ? यह मनुष्य का अज्ञान ही है कि वह क्षणिक लाभ के लिए वर्तमान में बुरे कर्म करने को तैयार हो जाता है और अच्छे कर्मों के माध्यम से लाभ कमाने के लिए तैयार नहीं होता l
कर्मफल को समझने के लिए हमें व्यक्ति के पूरे जीवन को देखना चाहिए जैसे औरंगजेब ने सत्ता हथियाने के लिए अपने भाइयों की हत्या करवाई , अपने पिता को मरवाया l शासक बना . लेकिन वह अपने जीवन के अंतिम समय में विक्षिप्त होकर मरा l अंतिम समय में उसका जीवन इतना कष्ट पूर्ण था जिसे एक पल भी सहन करना कठिन था l यह उसके कर्मों का ही परिणाम था l
कर्मफल को समझने के लिए हमें व्यक्ति के पूरे जीवन को देखना चाहिए जैसे औरंगजेब ने सत्ता हथियाने के लिए अपने भाइयों की हत्या करवाई , अपने पिता को मरवाया l शासक बना . लेकिन वह अपने जीवन के अंतिम समय में विक्षिप्त होकर मरा l अंतिम समय में उसका जीवन इतना कष्ट पूर्ण था जिसे एक पल भी सहन करना कठिन था l यह उसके कर्मों का ही परिणाम था l
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