' ऐसे व्यक्तियों को मनस्वी कहा जाता है , जो अन्याय एवं अनाचार के सामने घुटने नहीं टेकते , वरन उनसे लोहा लेते हैं और अन्यायी एवं अत्याचारी को भी सही मार्ग पर लाते हैं l वे स्वयं सन्मार्ग पर चलते हैं और दूसरों को भी सन्मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं l
इस सम्बन्ध में एक घटना है ---- तमिलनाडु वीरेश लिंगम उन दिनों स्कूल में विद्दा अध्ययन कर रहे थे l उस विद्दालय के हेडमास्टर को भाषा का समुचित ज्ञान नहीं था , फिर भी वे विद्दालय में अपनी धाक जमाकर रखते थे l एक दिन उनके विद्दालय के सभी छात्रों ने मिलकर उच्च अधिकारी को शिकायत लिख कर भेजी कि उनके स्थान पर किसी योग्य एवं सक्षम व्यक्ति को नियुक्त किया जाये l हेडमास्टर को इस आवेदन का पता चल गया वे और उग्र हो गए l छात्रों को फटकारा एवं दण्डित किया l
छात्र नेता होने के कारन वीरेश लिंगम को विद्दालय से निकाल देने कि धमकी दे डाली l उनकी हेडमास्टर से कोई व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं थी किन्तु निस्स्वार्थ भावना से उन्होंने उनके विरुद्ध आवाज उठाना शुरू कर दिया l उस प्रतिवेदन की कई प्रतियाँ कर के सभी सम्बंधित शिक्षा अधिकारियों को भेजी गईं l छात्रों को विद्दालय में नहीं आने के लिए कहा गया l इस हड़ताल को देखकर सरकार ने जाँच के आदेश दिए और अंततः नए प्रधानाध्यापक की नियुक्ति कर दी गई l
अनौचित्य के प्रति क्रोधित होने की परमार्थ परायण वृति ने ही उन्हें आगे चलकर एक मनस्वी समाज सुधारक के रूप में ख्याति दिलाई l
इस सम्बन्ध में एक घटना है ---- तमिलनाडु वीरेश लिंगम उन दिनों स्कूल में विद्दा अध्ययन कर रहे थे l उस विद्दालय के हेडमास्टर को भाषा का समुचित ज्ञान नहीं था , फिर भी वे विद्दालय में अपनी धाक जमाकर रखते थे l एक दिन उनके विद्दालय के सभी छात्रों ने मिलकर उच्च अधिकारी को शिकायत लिख कर भेजी कि उनके स्थान पर किसी योग्य एवं सक्षम व्यक्ति को नियुक्त किया जाये l हेडमास्टर को इस आवेदन का पता चल गया वे और उग्र हो गए l छात्रों को फटकारा एवं दण्डित किया l
छात्र नेता होने के कारन वीरेश लिंगम को विद्दालय से निकाल देने कि धमकी दे डाली l उनकी हेडमास्टर से कोई व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं थी किन्तु निस्स्वार्थ भावना से उन्होंने उनके विरुद्ध आवाज उठाना शुरू कर दिया l उस प्रतिवेदन की कई प्रतियाँ कर के सभी सम्बंधित शिक्षा अधिकारियों को भेजी गईं l छात्रों को विद्दालय में नहीं आने के लिए कहा गया l इस हड़ताल को देखकर सरकार ने जाँच के आदेश दिए और अंततः नए प्रधानाध्यापक की नियुक्ति कर दी गई l
अनौचित्य के प्रति क्रोधित होने की परमार्थ परायण वृति ने ही उन्हें आगे चलकर एक मनस्वी समाज सुधारक के रूप में ख्याति दिलाई l
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