नादिरशाह अपनी क्रूरता के लिए विख्यात था l वह दिल्ली में भयानक कत्लेआम मचा चुका था l चप्पे - चप्पे पर लाशें बिछी हुईं थीं l द्रश्य वीभत्स था l इसे देखकर एक वजीर का दिल भर आया , लेकिन नादिरशाह से कैसे कहें ? वजीर बहुत समझदार था , शाम को जब नादिरशाह नमाज पढ़ने के लिए निकला तो उस वजीर ने अमीर खुसरो का का एक शेर नादिरशाह को सुनाया -----शेर था ----- आपकी कहर की निगाह से न बच सका कोई l
आपने सबको मार डाला निगाहें नाज से
अब उन्हें जिन्दा भी कर दें निगाहें लुत्फ से l
इस शेर के माध्यम से वजीर ने नादिरशाह पर कटाक्ष किया कि यदि वह लोगों के प्राण लेने में सक्षम है तो वह क्या उनका जीवन लौटा सकता है ? यदि नादिरशाह ऐसा कर सके तो वह उन्हें जिन्दा कर दे , ताकि उन्हें फिर से मारा जा सके अन्यथा लाशों से भरी दिल्ली में वह अब किसका कत्लेआम करेगा l
यह शेर नादिरशाह के दिल में गहरा चुभ गया और उसने कत्लेआम का हुक्म वापस ले लिया l
आपने सबको मार डाला निगाहें नाज से
अब उन्हें जिन्दा भी कर दें निगाहें लुत्फ से l
इस शेर के माध्यम से वजीर ने नादिरशाह पर कटाक्ष किया कि यदि वह लोगों के प्राण लेने में सक्षम है तो वह क्या उनका जीवन लौटा सकता है ? यदि नादिरशाह ऐसा कर सके तो वह उन्हें जिन्दा कर दे , ताकि उन्हें फिर से मारा जा सके अन्यथा लाशों से भरी दिल्ली में वह अब किसका कत्लेआम करेगा l
यह शेर नादिरशाह के दिल में गहरा चुभ गया और उसने कत्लेआम का हुक्म वापस ले लिया l
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