' सामूहिकता में असाधारण शक्ति है l निर्जीव वस्तुएं एक और एक मिलकर दो होती हैं किन्तु प्राणवानों की एकात्मकता एक और एक मिलकर ग्यारह बनने जैसा नया सिद्धांत खड़ा होता है l तिनके - तिनके मिलकर रस्सा , धागे मिलकर कपड़ा. ईंटे मिलकर इमारत, बूंदे मिलकर समुद्र , सींकें मिलाने से बुहारी बनने की समन्वित शक्ति से जो परिचित है , उन्हें इतना और जानना चाहिए कि एक मार्ग पर लय - ताल के साथ चलने वाले सैनिकों की पग ध्वनि से लोहे के पुल धराशायी हो सकते हैं l इसी प्रकार सत्प्रवृत्तियां संगठित होकर अत्याचार और अन्याय को पराजित कर सकती हैं l
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