नीतिकारों का कथन है ---- दुष्ट शत्रु पर दया दिखाना अपना व दूसरों का अहित करना और सज्जनों को दंड देने के समान है l क्योंकि दुष्ट तो अपनी क्रूरता और नीचता छोड़ता नहीं , वह जब तक स्वतंत्र रहेगा , उसमे शक्ति रहेगी वह निर्दोष व्यक्तियों को सब तरह से दुःख और कष्ट ही देगा l इसलिए बर्नार्ड शा ने अपने एक लेख में लिखा है --- स्वभाव से ही दुष्ट और आततायी व्यक्तियों को समाज में रहने का अधिकार नहीं है l उनका अंत उसी प्रकार कर देना चाहिए जिस प्रकार हम सर्प और भेड़िया आदि अकारण आक्रमणकारी और घात में लगे रहने वाले जीवों का कर देते हैं l
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