' अनाचारी पागलपन की हरकतों को चुपचाप सहते रहने से दुष्ट की उन्मत्तता भड़कती है l इन कृत्यों के प्रति उदासीनता आग में घी का काम करती है l अक्सर देखा यही गया है की अच्छे - अच्छे लोग भी ऐसे अवसरों पर बिगाड़ के भय से कुकर्मी का तिरस्कार नहीं करते चाहे मन में उसके प्रति कितनी ही घ्रणा क्यों न हो l बुराइयों की आग उपेक्षा के ईंधन से भड़कती है और उसकी लपटें सारे मानव समाज को झुलसकर रख देती हैं l '
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