लोकमान्य तिलक ने हिन्दुओं में उत्साह और जागृति उत्पन्न करने के लिए ' गणपति उत्सव ' और 'शिवाजी जयंती ' दो बड़े त्यौहार समारोहपूर्वक संगठित रूप से मनाने का प्रचलन किया l इससे अंग्रेज अधिकारियों में भय उत्पन्न हो गया और वे इस जागृति को दबाने का प्रयास करने लगे l इसी समय पूना और उसके बाद बम्बई में हिन्दू - मुस्लिम दंगे हो गए l अंग्रेज अधिकारियों ने इसका दोष लोकमान्य तिलक द्वारा प्रचारित ' शिवाजी जयंती ' उत्सव पर डालना चाहा l
तिलकजी ने इस आक्षेप को असत्य बताते हुए अपने पत्र में लिखा ----- " मैं समझता हूँ इन सब झगड़ों का कारण सरकार ही है l उसकी पक्षपातपूर्ण नीति के कारण ही दंगे होते हैं l देश में इस समय हिन्दू - मुस्लिम द्वेष के बीज बोये जा रहे हैं l लार्ड डफरिन की भेद नीति ही सब दंगों का मूल कारण है l "
तिलकजी ने हिन्दुओं को कभी भी मुसलमानों के प्रति शत्रु - भाव रखने की प्रेरणा नहीं दी l उन्होंने हिन्दुओं को समझाया कि यदि कोई अमानुषिक करती करने पर तुल गया है तो भी तुम्हे तत्काल रक्तपात और अनुचित उपायों का अवलंबन नहीं करना चाहिए , बदले की भावना से अनुचित कार्य नहीं करना चाहिए l
लोकमान्य भारतीय स्वाधीनता के सच्चे उपासक थे और वे किसी भारतीय को धर्म के आधार पर शत्रु नहीं मानते थे l यही कारण था कि ' अलीबंधु ' जैसे प्रमुख मुसलमान नेताओं ने कहा कि--- " राजनीति में तिलक हमारे गुरु हैं l " इसके अतिरिक्त ' आफताय ' के संपादक सैयद तैदर रजा और मौलाना हसरत मोहानी जैसे धार्मिक मुसलमान विद्वान् उनके अनुयायी और भक्त थे l
लोकमान्य तिलक ने सरकारी अधिकारियों पर दोषारोपण करते हुए ' केसरी ' में कई लेख लिखे l इस पर सरकार ने उन पर कार्यवाही कर 18 महीने की कठोर सजा दी l जेल में उनके साथ बुरा व्यवहार किया गया l जब यह समाचार चारों तरफ फैला तो भारतीय जनता ही नहीं , इंग्लैंड के प्रसिद्ध पुरुषों ने भी इसकी निंदा की l मैक्समूलर, सर विलियम हंटर , दादाभाई नौरोजी आदि प्रसिद्ध विद्वानों ने सरकार को बताया कि तिलक जैसे महान विद्वान् के साथ ऐसा व्यवहार नहीं किया जाना चाहिए l इन सबके सम्मिलित प्रयत्न से तिलकजी को एक वर्ष बाद रिहा कर दिया गया l जेल से छूटने पर जनता ने उनका जैसा भव्य स्वागत किया उसकी मिसाल उस समय तक देखने में नहीं आई थी l
तिलकजी ने इस आक्षेप को असत्य बताते हुए अपने पत्र में लिखा ----- " मैं समझता हूँ इन सब झगड़ों का कारण सरकार ही है l उसकी पक्षपातपूर्ण नीति के कारण ही दंगे होते हैं l देश में इस समय हिन्दू - मुस्लिम द्वेष के बीज बोये जा रहे हैं l लार्ड डफरिन की भेद नीति ही सब दंगों का मूल कारण है l "
तिलकजी ने हिन्दुओं को कभी भी मुसलमानों के प्रति शत्रु - भाव रखने की प्रेरणा नहीं दी l उन्होंने हिन्दुओं को समझाया कि यदि कोई अमानुषिक करती करने पर तुल गया है तो भी तुम्हे तत्काल रक्तपात और अनुचित उपायों का अवलंबन नहीं करना चाहिए , बदले की भावना से अनुचित कार्य नहीं करना चाहिए l
लोकमान्य भारतीय स्वाधीनता के सच्चे उपासक थे और वे किसी भारतीय को धर्म के आधार पर शत्रु नहीं मानते थे l यही कारण था कि ' अलीबंधु ' जैसे प्रमुख मुसलमान नेताओं ने कहा कि--- " राजनीति में तिलक हमारे गुरु हैं l " इसके अतिरिक्त ' आफताय ' के संपादक सैयद तैदर रजा और मौलाना हसरत मोहानी जैसे धार्मिक मुसलमान विद्वान् उनके अनुयायी और भक्त थे l
लोकमान्य तिलक ने सरकारी अधिकारियों पर दोषारोपण करते हुए ' केसरी ' में कई लेख लिखे l इस पर सरकार ने उन पर कार्यवाही कर 18 महीने की कठोर सजा दी l जेल में उनके साथ बुरा व्यवहार किया गया l जब यह समाचार चारों तरफ फैला तो भारतीय जनता ही नहीं , इंग्लैंड के प्रसिद्ध पुरुषों ने भी इसकी निंदा की l मैक्समूलर, सर विलियम हंटर , दादाभाई नौरोजी आदि प्रसिद्ध विद्वानों ने सरकार को बताया कि तिलक जैसे महान विद्वान् के साथ ऐसा व्यवहार नहीं किया जाना चाहिए l इन सबके सम्मिलित प्रयत्न से तिलकजी को एक वर्ष बाद रिहा कर दिया गया l जेल से छूटने पर जनता ने उनका जैसा भव्य स्वागत किया उसकी मिसाल उस समय तक देखने में नहीं आई थी l
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