मनुष्य स्वयं का सबसे बड़ा और बुरा दुश्मन है l इसने काल और इतिहास से कुछ नहीं सीखा l इसने आदिम पशुता और दुष्टता को अभी भी जीवन्त बनाये रखा l
अपने पिता बिन्दुसार से सम्राट अशोक को सुविस्तृत राज्य प्राप्त हुआ l परन्तु उसकी तृष्णा और अहंकार ने उसे चैन नहीं लेने दिया l आस - पास के छोटे - छोटे राज्यों को जीतकर उसने अपने राज्य में मिला लिया l अब उसने कलिंग राज्य पर आक्रमण किया l वहां की सेना तथा प्रजा ने अशोक के आक्रमण का पूरा मुकाबला किया l उसमे प्राय: सारी आबादी मृत्यु के मुख में चली गई l अब उस देश की महिलाओं ने तलवार उठाई l अशोक इस सेना को देखकर चकित रह गया l वह उस देश में भ्रमण के लिए गया , तो सर्वत्र लाशें ही पटी थीं और खून की धारा बह रही थी l अशोक का मन पाप की आग से जलने लगा l उसने बौद्ध धर्म की दीक्षा ली और जो कुछ राज्य वैभव था , उस सारे धन से बौद्ध धर्म के प्रसार तथा उपयोगी धर्म संसथान बनवाये l अपने पुत्र और पुत्री को धर्म प्रचार के लिए समर्पित कर दिया l
परिवर्तन इसी को कहते हैं l एक क्रूर और आततायी कहा जाने वाला अशोक बदला , तो प्रायश्चित की आग में तपकर एक संन्यासी जैसा हो गया , सच्चे अर्थों में प्रजापालक सम्राट हो गया l
अपने पिता बिन्दुसार से सम्राट अशोक को सुविस्तृत राज्य प्राप्त हुआ l परन्तु उसकी तृष्णा और अहंकार ने उसे चैन नहीं लेने दिया l आस - पास के छोटे - छोटे राज्यों को जीतकर उसने अपने राज्य में मिला लिया l अब उसने कलिंग राज्य पर आक्रमण किया l वहां की सेना तथा प्रजा ने अशोक के आक्रमण का पूरा मुकाबला किया l उसमे प्राय: सारी आबादी मृत्यु के मुख में चली गई l अब उस देश की महिलाओं ने तलवार उठाई l अशोक इस सेना को देखकर चकित रह गया l वह उस देश में भ्रमण के लिए गया , तो सर्वत्र लाशें ही पटी थीं और खून की धारा बह रही थी l अशोक का मन पाप की आग से जलने लगा l उसने बौद्ध धर्म की दीक्षा ली और जो कुछ राज्य वैभव था , उस सारे धन से बौद्ध धर्म के प्रसार तथा उपयोगी धर्म संसथान बनवाये l अपने पुत्र और पुत्री को धर्म प्रचार के लिए समर्पित कर दिया l
परिवर्तन इसी को कहते हैं l एक क्रूर और आततायी कहा जाने वाला अशोक बदला , तो प्रायश्चित की आग में तपकर एक संन्यासी जैसा हो गया , सच्चे अर्थों में प्रजापालक सम्राट हो गया l
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