एक बार वैशाली क्षेत्र में दुष्ट - दुराचारियों का आतंक इतना बढ़ा कि उस प्रदेश में भले आदमियों का रहना कठिन हो गया l लोग घर छोड़कर अन्यत्र सुरक्षित स्थानों के लिए पलायन करने लगे l इन भागने वालों में ब्राह्मण समुदाय का भी बड़ा वर्ग था l वैशाली के ब्राह्मणों ने महर्षि गौतम के आश्रम में रहना उचित समझा l वे पहुंचे , आश्रय मिल गया l वहां न कोई कष्ट था , न भय l
एक दिन महर्षि नारद उधर से निकले , कुछ समय महर्षि गौतम के आश्रम में रुके l इस समुदाय के संरक्षण की नयी व्यवस्था देखकर वे बहुत प्रसन्न हुए और महर्षि गौतम की उदारता की बहुत प्रशंसा करने लगे l
नारदजी द्वारा महर्षि गौतम की इतनी प्रशंसा ब्राह्मण समुदाय से देखी न गई l वे ईर्ष्या की आग में जलने लगे l आपस में यह चर्चा करने लगे कि हमने ही उन्हें यह यश दिलाया , हम लोगों के यहाँ आकर रहने से ही गौतम ने इतना यश कमाया , अब हम ही अपना पुरुषार्थ दिखाकर उन्हें नीचा दिखायेंगे l
षड्यन्त्र रचा गया l रातोंरात मृत गाय आश्रम के आंगन मे डाली गई l कुहराम मच गया l यह गौतम ने मारी है l हत्यारा है , पापी है ,इसका भंडाफोड़ करेंगे l
गौतम योग साधना से उठे और यह कुतूहल देखकर अवाक् रह गए , उन्होंने इन आगंतुकों को विदा करने का निश्चय किया और कहा ---- " आप लोग जहाँ रहते थे वहीँ चले जाएँ l अपनी ईर्ष्या से जिस क्षेत्र को कलुषित किया था , उसे स्नेह - सौजन्य के सहारे सुधारने का नए सिरे से प्रयत्न करें l " समुदाय ने ऋषि की बात मानी और कलुषित क्षेत्र पुन: पवित्र हो गया l
एक दिन महर्षि नारद उधर से निकले , कुछ समय महर्षि गौतम के आश्रम में रुके l इस समुदाय के संरक्षण की नयी व्यवस्था देखकर वे बहुत प्रसन्न हुए और महर्षि गौतम की उदारता की बहुत प्रशंसा करने लगे l
नारदजी द्वारा महर्षि गौतम की इतनी प्रशंसा ब्राह्मण समुदाय से देखी न गई l वे ईर्ष्या की आग में जलने लगे l आपस में यह चर्चा करने लगे कि हमने ही उन्हें यह यश दिलाया , हम लोगों के यहाँ आकर रहने से ही गौतम ने इतना यश कमाया , अब हम ही अपना पुरुषार्थ दिखाकर उन्हें नीचा दिखायेंगे l
षड्यन्त्र रचा गया l रातोंरात मृत गाय आश्रम के आंगन मे डाली गई l कुहराम मच गया l यह गौतम ने मारी है l हत्यारा है , पापी है ,इसका भंडाफोड़ करेंगे l
गौतम योग साधना से उठे और यह कुतूहल देखकर अवाक् रह गए , उन्होंने इन आगंतुकों को विदा करने का निश्चय किया और कहा ---- " आप लोग जहाँ रहते थे वहीँ चले जाएँ l अपनी ईर्ष्या से जिस क्षेत्र को कलुषित किया था , उसे स्नेह - सौजन्य के सहारे सुधारने का नए सिरे से प्रयत्न करें l " समुदाय ने ऋषि की बात मानी और कलुषित क्षेत्र पुन: पवित्र हो गया l
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