दुःखियों को देखकर आंसू बहाने वाले तो ढेरों हैं , दुःख को मिटाने का , समस्या के समाधान का संकल्प जरुरी है l
समाज में जब भी कोई ह्रदय - विदारक घटना घटती है , अनेक लोग --सामान्य से लेकर अनेक प्रतिष्ठित लोग सहानुभूति जताने , आंसू बहाने पहुँच जाते हैं I जुलूस निकालते हैं , नारेबाजी करते हैं लेकिन दुष्टता को मिटाने का , पापियों के अंत का संकल्प कोई नहीं लेता I इस कारण दुःखद घटनाओं की पुनरावृति होती है I
श्री रामचरितमानस में एक प्रकरण है , ऋषियों की अस्थियों के समूह को देखकर भगवान राम व्याकुल हो गए l अरण्यकाण्ड में गोस्वामीजी लिखते हैं -----
अस्थि समूह देख रघुराया I पूछी मुनिन्ह लागि अति दाया I I
निसिचर निकर सकल मुनि खाए I सुनि रघुबीर नयन जल छाए II
रघुनाथजी की आँखों में यह द्रश्य देखकर आंसू आ गए l वे द्रवित हो उठे और तुरंत उन्होंने घोषणा की ----
निसिचर हीन करऊँ महि भुज उठाइ पन कीन्ह
सकल मुनिन्ह के आश्रमहिं जाइ जाइ सुख दीन्ह I
सारी धरती को राक्षसों से विहीन करने की उनने भुजा उठाकर प्रण के साथ घोषणा की l
भगवान राम की सच्ची भक्ति यही है कि करुणा , दया को दिखाकर , सबको प्रभावित करके नहीं रह जाना चाहिए I करुणा संकल्प के साथ जुड़नी चाहिए और फिर सक्रियता में बदलनी चाहिए , तभी उसकी सार्थकता है I
समाज में जब भी कोई ह्रदय - विदारक घटना घटती है , अनेक लोग --सामान्य से लेकर अनेक प्रतिष्ठित लोग सहानुभूति जताने , आंसू बहाने पहुँच जाते हैं I जुलूस निकालते हैं , नारेबाजी करते हैं लेकिन दुष्टता को मिटाने का , पापियों के अंत का संकल्प कोई नहीं लेता I इस कारण दुःखद घटनाओं की पुनरावृति होती है I
श्री रामचरितमानस में एक प्रकरण है , ऋषियों की अस्थियों के समूह को देखकर भगवान राम व्याकुल हो गए l अरण्यकाण्ड में गोस्वामीजी लिखते हैं -----
अस्थि समूह देख रघुराया I पूछी मुनिन्ह लागि अति दाया I I
निसिचर निकर सकल मुनि खाए I सुनि रघुबीर नयन जल छाए II
रघुनाथजी की आँखों में यह द्रश्य देखकर आंसू आ गए l वे द्रवित हो उठे और तुरंत उन्होंने घोषणा की ----
निसिचर हीन करऊँ महि भुज उठाइ पन कीन्ह
सकल मुनिन्ह के आश्रमहिं जाइ जाइ सुख दीन्ह I
सारी धरती को राक्षसों से विहीन करने की उनने भुजा उठाकर प्रण के साथ घोषणा की l
भगवान राम की सच्ची भक्ति यही है कि करुणा , दया को दिखाकर , सबको प्रभावित करके नहीं रह जाना चाहिए I करुणा संकल्प के साथ जुड़नी चाहिए और फिर सक्रियता में बदलनी चाहिए , तभी उसकी सार्थकता है I
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