प्राय: यह देखने में आता है कि समाज के कतिपय गणमान्य एवं धनी कहे जाने वाले व्यक्ति भी परावलम्बन के शिकार होते हैं I बड़े - बड़े सेठ अपने मुनीमों के वश में इसलिए रहते हैं क्योंकि उनमे कार्य कुशलता और वह वाकपटुता नहीं होती जिसकी आज के व्यापार जगत में आवश्यकता है I इसी तरह शासन में , अनेक बड़ी संस्थाओं में कई उच्च अधिकारी स्वयं निर्णय लेने की असमर्थता के कारण और आधुनिक तकनीक का ज्ञान न होने के कारण वे अपने आधीन कर्मचारियों के आश्रित रहते हैं I इससे उनकी स्वतंत्र सत्ता हमेशा खतरे में पड़ी रहती है I
परावलम्बी व्यक्ति के पास न अपना विवेक होता है और न अपनी बुद्धि इसलिए किसी भी आपातकालीन स्थिति में स्वयं निर्णय लेने की क्षमता उनमे नहीं होती l जब आत्म निर्णय का गुण नष्ट हो जाता है तो पराधीन व्यक्ति दीन - हीन दिखाई देने लगता है l महारानी कैकेई का उदाहरण है कि महारानी होते हुए भी दासी मंथरा की कुबुद्धि का सहारा लिया l विवेक और चातुर्य के अभाव के कारण ही महारानी कैकेई को कितना दारुण दुःख सहन करना पड़ा l ऐसा सामाजिक परावलम्बन स्वयं उस व्यक्ति के लिए और सम्पूर्ण समाज के लिए घातक होता है l
परावलम्बी व्यक्ति के पास न अपना विवेक होता है और न अपनी बुद्धि इसलिए किसी भी आपातकालीन स्थिति में स्वयं निर्णय लेने की क्षमता उनमे नहीं होती l जब आत्म निर्णय का गुण नष्ट हो जाता है तो पराधीन व्यक्ति दीन - हीन दिखाई देने लगता है l महारानी कैकेई का उदाहरण है कि महारानी होते हुए भी दासी मंथरा की कुबुद्धि का सहारा लिया l विवेक और चातुर्य के अभाव के कारण ही महारानी कैकेई को कितना दारुण दुःख सहन करना पड़ा l ऐसा सामाजिक परावलम्बन स्वयं उस व्यक्ति के लिए और सम्पूर्ण समाज के लिए घातक होता है l
No comments:
Post a Comment