माँ आदिशक्ति की कठोरता का कोई भी रूप क्यों न हो , श्रद्धाभाव से ' माँ ' कहकर पुकारने से उनकी ममता छलक उठती है और उनके कोप की रौद्रता करुणा में परिवर्तित हो जाती है l इस सत्य को बताने वाली एक पुराण कथा है ----- असुरराज विकटदंत का बेटा सुबल भगवती का अनन्य भक्त था , उसके पिता को यह बात सुहाती न थी l उसने अपने ही पुत्र को मारने के कई षडयंत्र किये परन्तु माँ की कृपा से वे सब विफल हो गए l तब वह असुरराज स्वयं महाखड्ग से सुबल को मारने को उठ खड़ा हुआ l अपने भक्त पर ऐसा अत्याचार माँ सहन न कर सकीं और और परम कोपवती महाकाली के रूप में वहां प्रकट हो गईं l देखते - ही - देखते उन्होंने असुरराज को समाप्त कर दिया l किन्तु उनका कोप शान्त न हुआ l उनके क्रोध से त्रिलोकी कम्पित होने लगी l
सब देवी - देवता और महादेव स्वयं आ गए किन्तु किसी विधि से उनका कोप शांत न हुआ l तब महादेव ने कहा कि सुबल पर अत्याचार के कारण वे कुपित हुईं हैं , अत: सुबल ही उन्हें शांत कर सकता है l देवों की बात सुनकर सुबल प्रसन्न भाव से महाकाली की और बढ़ा और ' माँ ' कहकर उनके चरणों से लिपट गया l उसे अपने पास आया देख महाकाली ने उसे गोद में उठा लिया और उसे प्यार करते हुए कहा --- पुत्र ! मुझे आने में देर लग गई l ' माता की ममता पाकर सुबल निहाल हो गया l उसने कहा --- हे माँ ! यदि आप मुझ पर प्रसन्न हैं तो शान्त हो जाएँ और सम्पूर्ण जगत पर कृपा करें l ' सुबल के प्रेमपूर्ण वचनों को सुनकर महाकाली का कोप शान्त हुआ और वे वापस अपने सौम्य स्वरुप में लौट आईं l
सब देवी - देवता और महादेव स्वयं आ गए किन्तु किसी विधि से उनका कोप शांत न हुआ l तब महादेव ने कहा कि सुबल पर अत्याचार के कारण वे कुपित हुईं हैं , अत: सुबल ही उन्हें शांत कर सकता है l देवों की बात सुनकर सुबल प्रसन्न भाव से महाकाली की और बढ़ा और ' माँ ' कहकर उनके चरणों से लिपट गया l उसे अपने पास आया देख महाकाली ने उसे गोद में उठा लिया और उसे प्यार करते हुए कहा --- पुत्र ! मुझे आने में देर लग गई l ' माता की ममता पाकर सुबल निहाल हो गया l उसने कहा --- हे माँ ! यदि आप मुझ पर प्रसन्न हैं तो शान्त हो जाएँ और सम्पूर्ण जगत पर कृपा करें l ' सुबल के प्रेमपूर्ण वचनों को सुनकर महाकाली का कोप शान्त हुआ और वे वापस अपने सौम्य स्वरुप में लौट आईं l
No comments:
Post a Comment