श्री हनुमानजी बहुमुखी व्यक्तित्व के स्वामी हैं l श्रीरामचरितमानस में वही एक ऐसे पात्र हैं जो हमें रास्ता दिखाते हैं , ऐसी चतुराई सिखाते हैं जो हमें श्रीराम से मिला दे l उन्होंने कहा कि राम का नाम लेने के साथ ' भगवान राम ' का काम भी करो l उन्होंने जो कहा वह अपने आचरण से कर के भी दिखाया l उन्होंने केवल राक्षसों का ही अंत नहीं किया अपितु उन्हें संरक्षण देने वालों को भी मजा चखाया l
जब समुद्र को पार कर के श्री हनुमानजी लंका पहुंचे , तो लंका द्वार पर लंका की रक्षा करने वाली लंकिनी नामक राक्षसी मिली l उस समय हनुमानजी अति लघुरूप में थे , फिर भी उसने हनुमानजी को पहचान लिया और बलपूर्वक उन्हें रोकने का प्रयास किया , तब उन्होंने लंकिनी को मुक्का मारा और उसे घायल कर दिया l
लंकिनी लंका की रक्षक थी किन्तु वह रावण जैसे अत्याचारी , जिसने परस्त्री पर कुद्रष्टि डाली, उनका हरण किया , वह उसकी सेवा में थी l जो रक्षक एक गलत व्यवस्था की रक्षा करे , उस पर प्रहार करना चाहिए l शौर्य का यह अनुपम उदाहरण श्री हनुमानजी ने यहाँ प्रस्तुत किया l
उन्होंने भगवान राम का कार्य किया , सीताजी का पता लगाया , उन्हें भगवान का सन्देश दिया l श्रीराम का कार्य कर के ही उन्होंने भगवान को प्रसन्न किया l
आज के समय में समूचे संसार को श्री हनुमानजी के व्यक्तित्व से शिक्षा लेने की जरुरत है l सभी धर्मों के लोग अपने - अपने भगवान के लिए भव्य भवन बनाकर , कुछ देर कर्मकांड कर उन्हें कमरे में बंद कर देते हैं और फिर पाप , भ्रष्टाचार , अनाचार , अत्याचार आदि अनैतिक कार्यों में संलग्न हो जाते हैं , सोचते हैं कि अब भगवन उन्हें नहीं देख रहे हैं l हम सबके ह्रदय के तार ईश्वर से जुड़े है , वे केवल हमें नहीं , हमारे मन में क्या चल रहा है उसे भी जानते हैं l
पाप , अत्याचार , राक्षसी प्रवृतियों के कारण ही प्रकृति नाराज हो गई हैं l हम सब अपने भीतर श्री हनुमानजी का बल जगाएं , पापी का दंड तो ' काल ' निर्धारित करता है l हम कम से कम अत्याचारी , अन्यायी का और उन्हें संरक्षण देने वालों का बहिष्कार तो करें , जिससे समाज में यह सन्देश जाएगा कि ऐसे लोगों द्वारा किये जाने वाले कार्य अनैतिक और अमानवीय हैं और
धीरे - धीरे लोग सद्गुणों का महत्व समझेंगे l
जब समुद्र को पार कर के श्री हनुमानजी लंका पहुंचे , तो लंका द्वार पर लंका की रक्षा करने वाली लंकिनी नामक राक्षसी मिली l उस समय हनुमानजी अति लघुरूप में थे , फिर भी उसने हनुमानजी को पहचान लिया और बलपूर्वक उन्हें रोकने का प्रयास किया , तब उन्होंने लंकिनी को मुक्का मारा और उसे घायल कर दिया l
लंकिनी लंका की रक्षक थी किन्तु वह रावण जैसे अत्याचारी , जिसने परस्त्री पर कुद्रष्टि डाली, उनका हरण किया , वह उसकी सेवा में थी l जो रक्षक एक गलत व्यवस्था की रक्षा करे , उस पर प्रहार करना चाहिए l शौर्य का यह अनुपम उदाहरण श्री हनुमानजी ने यहाँ प्रस्तुत किया l
उन्होंने भगवान राम का कार्य किया , सीताजी का पता लगाया , उन्हें भगवान का सन्देश दिया l श्रीराम का कार्य कर के ही उन्होंने भगवान को प्रसन्न किया l
आज के समय में समूचे संसार को श्री हनुमानजी के व्यक्तित्व से शिक्षा लेने की जरुरत है l सभी धर्मों के लोग अपने - अपने भगवान के लिए भव्य भवन बनाकर , कुछ देर कर्मकांड कर उन्हें कमरे में बंद कर देते हैं और फिर पाप , भ्रष्टाचार , अनाचार , अत्याचार आदि अनैतिक कार्यों में संलग्न हो जाते हैं , सोचते हैं कि अब भगवन उन्हें नहीं देख रहे हैं l हम सबके ह्रदय के तार ईश्वर से जुड़े है , वे केवल हमें नहीं , हमारे मन में क्या चल रहा है उसे भी जानते हैं l
पाप , अत्याचार , राक्षसी प्रवृतियों के कारण ही प्रकृति नाराज हो गई हैं l हम सब अपने भीतर श्री हनुमानजी का बल जगाएं , पापी का दंड तो ' काल ' निर्धारित करता है l हम कम से कम अत्याचारी , अन्यायी का और उन्हें संरक्षण देने वालों का बहिष्कार तो करें , जिससे समाज में यह सन्देश जाएगा कि ऐसे लोगों द्वारा किये जाने वाले कार्य अनैतिक और अमानवीय हैं और
धीरे - धीरे लोग सद्गुणों का महत्व समझेंगे l
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