विचार करने की दो श्रेणियां हैं ---- सोचने का एक तरीका यह है कि हमारी इच्छानुकूल वस्तुएं मिलें तभी हम दुनिया में सुखी रहेंगे l यह है भौतिकवादी द्रष्टिकोण l दूसरा द्रष्टिकोण है अध्यात्मवादी द्रष्टिकोण --- यह हमारे सोचने के तरीके को ठीक करता है l यदि हमारा सोचने का तरीका सही है तो हम साधारण सुख - सुविधाओं में , अपने एक कमरे में रहकर भी सुख - शांति से रह सकते हैं लेकिन चिंतन सही न होने से हम सारा संसार भी घूम आयेंगे तब भी मन अशांत रहेगा , समस्याएं बनी रहेंगी l बाहरी चीजों से आज तक किसी को भी सुख - शांति नहीं मिली है l शान्ति हमारी मन:स्थिति है जो सही ढंग से जीवन जीने से हमें मिलती है और अध्यात्म हमें सही ढंग से जीवन जीना सिखाता है l
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