जब जीवन में कुछ अच्छा घटने वाला होता है तो उसका पूर्व संकेत मिल जाता है किन्तु दुर्भाग्य बिना पूर्व संकेत के अचानक आ जाता है क्योंकि यह बीते कल के सभी दुष्कर्मों की परिणति है जिसे भोगना है l ऐसा सबके साथ होता है --- भगवान राम के राज्याभिषेक की तैयारी थी किन्तु दुर्भाग्य कानोकान खबर दिए बगैर आया और राम को राज्याभिषेक के स्थान पर चौदह वर्ष का वनवास हो गया , l यहाँ भी दुर्भाग्य ने पीछा नहीं छोड़ा , रावण ने सीताजी का हरण कर लिया l
इसी तरह महाभारत में पांडव लगातार संघर्ष कर रहे थे और धर्म के मार्ग पर थे l युद्ध में वीरता से लड़ रहे थे l स्वयं भगवान कृष्ण उनके साथ थे लेकिन दुर्भाग्य की ऐसी काली छाया पड़ी कि अर्जुन का पुत्र , भगवान कृष्ण का भानजा अभिमन्यु चक्रव्यूह में फंसकर अधर्मियों के हाथों मारा गया l युद्ध समाप्ति पर था और द्रोपदी के पाँचों पुत्रों का वध हो गया l
दुर्भाग्य का आक्रमण ऐसा होता है कि पल भर में सब कुछ बदल जाता है l
ऋषियों का मत है कि जो प्रारब्ध भोग है , वह तो भोगना ही है लेकिन यदि सुख - सौभाग्य के समय सेवा , परोपकार जैसे श्रेष्ठ कार्य किये जाएँ तो दुःख की चुभन कम हो जाती है l
इसलिए सुख के समय हमें जागरूक रहना चाहिए कभी किसी का दिल न दुखाए, किसी को शारीरिक मानसिक कष्ट न दे , ईमानदारी से कर्तव्यपालन करे , यही तपस्या है l
इसी तरह महाभारत में पांडव लगातार संघर्ष कर रहे थे और धर्म के मार्ग पर थे l युद्ध में वीरता से लड़ रहे थे l स्वयं भगवान कृष्ण उनके साथ थे लेकिन दुर्भाग्य की ऐसी काली छाया पड़ी कि अर्जुन का पुत्र , भगवान कृष्ण का भानजा अभिमन्यु चक्रव्यूह में फंसकर अधर्मियों के हाथों मारा गया l युद्ध समाप्ति पर था और द्रोपदी के पाँचों पुत्रों का वध हो गया l
दुर्भाग्य का आक्रमण ऐसा होता है कि पल भर में सब कुछ बदल जाता है l
ऋषियों का मत है कि जो प्रारब्ध भोग है , वह तो भोगना ही है लेकिन यदि सुख - सौभाग्य के समय सेवा , परोपकार जैसे श्रेष्ठ कार्य किये जाएँ तो दुःख की चुभन कम हो जाती है l
इसलिए सुख के समय हमें जागरूक रहना चाहिए कभी किसी का दिल न दुखाए, किसी को शारीरिक मानसिक कष्ट न दे , ईमानदारी से कर्तव्यपालन करे , यही तपस्या है l
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