स्वामी विवेकानंद कश्मीर के क्षीर भवानी मंदिर गए l देखा मंदिर टूटा हुआ था l मन - ही - मन निश्चय किया कि इतना सुन्दर मंदिर , इतना पुराना भव्य शिल्प , मैं इस मंदिर को बनवाऊंगा l कहा जाता है कि भगवती साक्षात् प्रकट हुईं और बोलीं ---- " मैंने त्रिभुवन का निर्माण किया है l तू मेरे लिए क्या बनाएगा ! भगवन के लिए कुछ बनाना है , तो घर - घर में ईश्वरीय प्रेरणा फैला l सब घरों को आदर्श स्वर्ग जैसा अनुपम बना l " स्वामीजी ने माँ का आदेश शिरोधार्य किया एवं वही कार्य जीवन भर किया l
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