मंदिरों में शंख और घड़ियाल, गिरजाघरों में घंटियाँ , मस्जिदों में अजान के स्वर गूंजे l सभी धर्मावलम्बी अपने अपने पूजा स्थलों की ओर चल पड़े l
मस्जिद की मीनार , गुरूद्वारे का निसान साहिब , मंदिर का गुम्बद और गिरजाघर का क्रास भक्तों की भारी भीड़ को आता देख आपस में विस्मय की मुद्रा में मुस्कराए l
मस्जिद की मीनार ने निसान साहिब , गुम्बद और क्रास से कहा ---- " भाईसाहब ! ये इन्सान भी क्या खूब है ? यह सारी भीड़ अभी अपने - अपने पूजाघरों में जाकर भगवन के सामने बड़ी भोली बनकर वेड मन्त्र , आयतें और कवितायेँ गाएगी , परवरदिगार से दुआ करेगी की हमसे कोई गलती न हो , हमारी नियत साफ रहे , हम नेक इनसान बनें , फिर न जाने इस पूजाघर के बाहर क्या हो जाता है l तब इन्सान का दूसरा मुखौटा होता है l भोला बनने वाला वही इन्सान शोषक बन जाता है और सजातीय मनुष्यों का गला काटने से भी नहीं चुकता l "
मंदिर के गुम्बद ने कहा ---- " चुप रह बहन ! धीरे बोल l यदि इन मनुष्यों ने सुन लिया तो तेरी - मेरी और इन सब पूजाघरों की खैर नहीं l यह इन्सान बड़ा जिद्दी है , अपने को छोड़कर सबको मूर्ख समझता है l यही इसकी आज की दुर्गति का कारण है l
मस्जिद की मीनार , गुरूद्वारे का निसान साहिब , मंदिर का गुम्बद और गिरजाघर का क्रास भक्तों की भारी भीड़ को आता देख आपस में विस्मय की मुद्रा में मुस्कराए l
मस्जिद की मीनार ने निसान साहिब , गुम्बद और क्रास से कहा ---- " भाईसाहब ! ये इन्सान भी क्या खूब है ? यह सारी भीड़ अभी अपने - अपने पूजाघरों में जाकर भगवन के सामने बड़ी भोली बनकर वेड मन्त्र , आयतें और कवितायेँ गाएगी , परवरदिगार से दुआ करेगी की हमसे कोई गलती न हो , हमारी नियत साफ रहे , हम नेक इनसान बनें , फिर न जाने इस पूजाघर के बाहर क्या हो जाता है l तब इन्सान का दूसरा मुखौटा होता है l भोला बनने वाला वही इन्सान शोषक बन जाता है और सजातीय मनुष्यों का गला काटने से भी नहीं चुकता l "
मंदिर के गुम्बद ने कहा ---- " चुप रह बहन ! धीरे बोल l यदि इन मनुष्यों ने सुन लिया तो तेरी - मेरी और इन सब पूजाघरों की खैर नहीं l यह इन्सान बड़ा जिद्दी है , अपने को छोड़कर सबको मूर्ख समझता है l यही इसकी आज की दुर्गति का कारण है l
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