पेड़ों में चिड़िया , बिलों में दीमक , जंगलों में हिरन कुदकते - फुदकते प्रसन्नता का जीवन जीते हैं l जलाशय में मछलियाँ कल्लोल करती हैं l एक मनुष्य ही ऐसा है जो उत्कृष्ट शरीर संरचना , विशिष्ट बुद्धिमत्ता के होते हुए भी हर घडी चिंतित , शंकित और भयभीत रहता है l इसका कारण न तो संसार की परिस्थितियां हैं और न प्रतिकूलताओं की भरमार l केवल अपनी ही मन; स्थिति अस्त व्यस्त , अनगढ़ होने से विचारणा भावना विकृत हो जाती है l
मनुष्य के हाथ पैरों में हथकड़ी तो तभी पड़ती है जब उसे किसी अपराध में जेल जाना पड़ता है l किन्तु मनोविकारों के बंधन ऐसे हैं , जो इस प्रकार जकड़ते हैं , मानो किसी भयंकर व्यथा ने जकड़ लिया हो l
मनुष्य के हाथ पैरों में हथकड़ी तो तभी पड़ती है जब उसे किसी अपराध में जेल जाना पड़ता है l किन्तु मनोविकारों के बंधन ऐसे हैं , जो इस प्रकार जकड़ते हैं , मानो किसी भयंकर व्यथा ने जकड़ लिया हो l
No comments:
Post a Comment