अहंकारी एक प्रकार का उन्मादी होता है l जो अपना नहीं है , उस पर भी दावा करता है l फलत: धृष्टता बढती है l
अहंकारी स्वयं को सर्वश्रेष्ठ समझता है और सब पर अपनी हुकूमत चाहता है , जो उसकी आधीनता को न माने , उसके आदेशानुसार न चले तो अहंकारी व्यक्ति नैतिकता और संवेदना को भूलकर हर तरीके से उसे झुकाने का प्रयत्न करता है इस कारण परिवार हो या समाज या संस्था हर जगह अशांति और अव्यवस्था फैलती है l
पं. श्रीराम शर्मा आचार्य का मत है ---- ' हिरन , हाथी, पतंगा , मछली और भौंरा - ये अपने - अपने स्वभाव के कारण पांच विषयों में से केवल एक से आसक्त होने के कारण मृत्यु को प्राप्त होते हैं , तो इन पांच विषयों जकड़ा हुआ , असंयमी व्यक्ति कैसे बच सकता है l असंयमी की दुर्गति निश्चित है l "
अहंकारी स्वयं को सर्वश्रेष्ठ समझता है और सब पर अपनी हुकूमत चाहता है , जो उसकी आधीनता को न माने , उसके आदेशानुसार न चले तो अहंकारी व्यक्ति नैतिकता और संवेदना को भूलकर हर तरीके से उसे झुकाने का प्रयत्न करता है इस कारण परिवार हो या समाज या संस्था हर जगह अशांति और अव्यवस्था फैलती है l
पं. श्रीराम शर्मा आचार्य का मत है ---- ' हिरन , हाथी, पतंगा , मछली और भौंरा - ये अपने - अपने स्वभाव के कारण पांच विषयों में से केवल एक से आसक्त होने के कारण मृत्यु को प्राप्त होते हैं , तो इन पांच विषयों जकड़ा हुआ , असंयमी व्यक्ति कैसे बच सकता है l असंयमी की दुर्गति निश्चित है l "
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