काव्य प्रतिभा मनुष्य को मिली हुई एक दैवी विभूति है उसे पाकर अहंकार में भर उठना या उसके महत्व को नकारते हुए दुरूपयोग करने लगना बहुत बड़ी भूल है क्योंकि यह उसकी प्रतिभा नहीं होती वरन ईश्वर से किसी विशेष प्रयोजन के लिए उसे मिली होती है l
जन मानस के उत्थान , परिष्कार , निर्माण व पतन में साहित्य का महत्वपूर्ण योगदान रहा है l यह मनुष्य को देवत्व की ओर अग्रसर भी कर सकता है तथा पशुत्व की ओर भी ढकेल सकता है l
हिन्दी के शीर्षस्थ कवियों में से तुलसीदास जी भी एक हैं l मनुष्य देवता बने --- इसी द्रष्टिकोण को ध्यान में रखकर उन्होंने साहित्य सृजन किया l रामचरितमानस के जरिये उन्होंने विश्व को जो देन दी , वह अमर है l रामचरितमानस एक भक्ति काव्य , आदर्शवादी काव्य ही नहीं , सांसारिक अनुभवों का एक विश्व कोष भी है l
जन मानस के उत्थान , परिष्कार , निर्माण व पतन में साहित्य का महत्वपूर्ण योगदान रहा है l यह मनुष्य को देवत्व की ओर अग्रसर भी कर सकता है तथा पशुत्व की ओर भी ढकेल सकता है l
हिन्दी के शीर्षस्थ कवियों में से तुलसीदास जी भी एक हैं l मनुष्य देवता बने --- इसी द्रष्टिकोण को ध्यान में रखकर उन्होंने साहित्य सृजन किया l रामचरितमानस के जरिये उन्होंने विश्व को जो देन दी , वह अमर है l रामचरितमानस एक भक्ति काव्य , आदर्शवादी काव्य ही नहीं , सांसारिक अनुभवों का एक विश्व कोष भी है l
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