इस संसार में व्यक्ति एक से एक अच्छे , छोटे - बड़े अनेक कार्य करता है l जिनमे कोई अहंकार नहीं होता वे अपने हर अच्छे कार्यों को पूरा करने का श्रेय भगवान को देते हैं कि सब कुछ ईश्वर की कृपा से हुआ है तथा अपनी गलतियों के लिए स्वयं को जिम्मेदार ठहराते हैं और उन्हें सुधारने के लिए हमेशा प्रयत्नशील रहते हैं ताकि वे गलतियाँ दुबारा न हों l
यह भी सत्य है कि जिनमे अहंकार नहीं है और जो परमार्थ के लिए , समाज के कल्याण के लिए कुछ करना चाहते हैं उन्हें अद्रश्य शक्तियों का सहयोग मिलता है l
इनमे सबसे जीवंत उदाहरण महात्मा गाँधी का है l गांधीजी का प्रमाणिक व्यक्तित्व , उनका उद्देश्य व सबसे प्रमुख मातृभूमि के लिए कुछ कर गुजरने की चाहत के कारण उन्हें कई ऐसी सूक्ष्म शक्तियों ने अनुदान दिए कि देखते - ही - देखते साधारण दीखने वाले मोहनदास कर्मचंद गाँधी असाधारण चुम्बकत्व के स्वामी हो गए और महात्मा गाँधी कहलाये , जिनके इशारे मात्र पर अनगिनत लोग उनके पीछे चल दिए और कुछ भी कर गुजरने के लिए तैयार हो गए l
यह भी सत्य है कि जिनमे अहंकार नहीं है और जो परमार्थ के लिए , समाज के कल्याण के लिए कुछ करना चाहते हैं उन्हें अद्रश्य शक्तियों का सहयोग मिलता है l
इनमे सबसे जीवंत उदाहरण महात्मा गाँधी का है l गांधीजी का प्रमाणिक व्यक्तित्व , उनका उद्देश्य व सबसे प्रमुख मातृभूमि के लिए कुछ कर गुजरने की चाहत के कारण उन्हें कई ऐसी सूक्ष्म शक्तियों ने अनुदान दिए कि देखते - ही - देखते साधारण दीखने वाले मोहनदास कर्मचंद गाँधी असाधारण चुम्बकत्व के स्वामी हो गए और महात्मा गाँधी कहलाये , जिनके इशारे मात्र पर अनगिनत लोग उनके पीछे चल दिए और कुछ भी कर गुजरने के लिए तैयार हो गए l
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